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पटना: एक वक्त बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ काम कर चुके चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने हाल ही में दावा किया कि बिहार सीएम ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाता तोड़ लेने के बावजूद केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी से संपर्क बना रखा है। अब इस पर अपनी प्रतिक्रिया में नीतीश कुमार ने 'परवाह नहीं' वाला रवैया जताते हुए पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, "वह युवा हैं, और कुछ न कुछ कहेंगे ही।"

पत्रकारों से बातचीत में नीतीश कुमार बोले, "कृपया मुझसे उनके बारे में कुछ न पूछें... वह बोलते ही रहते हैं... वह खुद के प्रचार के लिए बोलते हैं, और अपनी इच्छा से कुछ भी बोल सकते हैं, हमें परवाह नहीं... एक वक्त था, जब मैं उनका काफी सम्मान करता था... लेकिन अब मैं नहीं जानता, उनके दिमाग में क्या चल रहा है।"

बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, "वह मुझसे छोटे हैं... मैंने जिस-जिस का सम्मान किया, उन्होंने ही मुझसे दुर्व्यवहार किया... आप सभी यह बात जानते हैं।"

आमतौर पर पीके के नाम से पुकारे जाने वाले प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि अगस्त में भाजपा से नाता तोड़कर दोबारा तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से हाथ मिला लेने वाले नीतीश कुमार एक बार फिर स्थितियां बदलने पर पाला बदल सकते हैं। पीके ने कहा था, "जो लोग यह सोच रहे हैं कि नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय गठबंधन बनाने में सक्रियता से जुटे हैं, उन्हें यह जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने भाजपा के साथ एक लाइन अब भी खुली रखी है... वह अपनी पार्टी के सांसद तथा राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश जी के ज़रिये भाजपा के साथ संपर्क में हैं..." प्रशांत किशोर ने यह भी संकेत दिया कि इसी वजह से जनता दल यूनाइटेड द्वारा भाजपा से नाता तोड़ लिए जाने के बावजूद हरिवंश से राज्यसभा के पद से इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा गया था।

बिहार की 'यात्रा' कर रहे प्रशांत किशोर ने कहा, "लोगों को हमेशा दिमाग में रखना चाहिए कि जब भी हालात पैदा होंगे, वह भाजपा के पास वापस जा सकते हैं, और उनके साथ फिर काम कर सकते हैं।"

हमलावर तेवरों के साथ प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर कई बार हमला किया और उन्हें 'उम्र से प्रभावित', 'गलतफहमी का शिकार' तथा 'राजनैतिक रूप से अलग-थलग पड़ चुका' नेता कहा।

पीके ने कहा, "उन (नीतीश कुमार) पर उम्र का असर हो चला है, और वह भ्रमित हैं... वह राजनैतिक रूप से अलग-थलग पड़ चुके हैं, क्योंकि वह उन लोगों से घिरे हैं, जिन पर वह खुद ही भरोसा नहीं करते... इसी घबराहट की वजह से वह जो बोलना चाहते हैं, उसके अलावा कुछ बोल जाते हैं।"

उन्होंने यह भी कहा कि बहुत-से लोगों को लगता है कि नीतीश कुमार 2024 के आम चुनाव के लिए भाजपा के खिलाफ विपक्ष का महान गठबंधन बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन 'यह बहुत विश्वसनीय नहीं है...' पीके ने याद दिलाया कि 17 साल तक मुख्यमंत्री बने रहने वाले नीतीश कुमार को 14 वर्ष तक भाजपा का ही साथ मिला रहा है।

भाजपा, कांग्रेस तथा तृणमूल कांग्रेस जैसे दलों के लिए प्रभावशाली नतीजे ला चुके प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार की जेडीयू में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनकर राजनीति में कदम रखा था। इसके बाद जनवरी, 2020 में पीके को 'पार्टी के निर्णयों के विरुद्ध काम करने' के लिए दो साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया था। बस, तभी से दोनों एक दूसरे के खिलाफ बयान देते रहते हैं।

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