ताज़ा खबरें
महाराष्ट्र के नतीजे पर उद्धव बोले- 'यह सिर्फ एक लहर नहीं, सुनामी थी'
संसद में वायनाड के लोगों की आवाज बनूंगी: चुनाव नतीजे के बाद प्रियंका
झारखंड में 'इंडिया' गठबंधन को मिला बहुमत, जेएमएम ने 34 सीटें जीतीं
पंजाब उपचुनाव: तीन सीटों पर आप और एक पर कांग्रेस ने की जीत दर्ज

पटना: बिहार सरकार एक चिकित्सक को दो दिन पहले निलंबित करने के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के आदेश को लेकर रविवार को चिकित्सा समुदाय के साथ टकराव मोल लेती प्रतीत हुई। तेजस्वी के पास चिकित्सा विभाग का भी प्रभार है। उन्होंने डेंगू के प्रसार से निपटने की तैयारियों का जायजा लेने के लिए शुक्रवार रात कई सरकारी अस्पतालों का औचक निरीक्षण किया। वह नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एनएमसीएच) में स्थिति को देखकर अप्रसन्न हो गये और इसके अधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह को निलंबित कर दिया, जिन्होंने कार्रवाई को अनुचित बताया। एनएमसीएच शहर का दूसरा सबसे बड़ा चिकित्सा संस्थान है।

आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष सहजानंद प्रसाद सिंह ने मीडिया से कहा, निलंबन बगैर सोच विचार के लिया गया फैसला है जिसे सरकार को वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा, मैंने निलंबन को लेकर एसोसिएशन की नाराजगी से अवगत कराते हुए कल ईमेल भेजे थे। पीड़ित पक्ष के अदालत का रुख करने पर हम इस मामले में पूरा सहयोग करेंगे, हालांकि हमने चिकित्सकों को हड़ताल पर जाने से दूर रहने को कहा है क्योंकि इससे मरीज प्रभावित होंगे।

आईएमए अध्यक्ष ने यह भी कहा कि वह मुख्यमंत्री से मिलने को इच्छुक हैं। उन्होंने कहा, ‘‘निलंबन आदेश वापस लेना सरकार के लिए भी अच्छा रहेगा।''

इस बीच, युवा उपमुख्यमंत्री ने गांधी मैदान में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, ‘‘आईएमए इस विषय को जहां चाहे, ले जाने को स्वतंत्र है। वे मेडिकल पेशे के लोगों का पक्ष लेंगे, लेकिन हम जन प्रतिनिधि हैं और जनहित में काम करेंगे।'' तेजस्वी ने कहा, ‘‘मेरे पास 705 चिकित्सकों की एक सूची है जो लंबे समय से ड्यूटी से अनुपस्थित हैं। कुछ मामलों में यह अवधि 10-12 साल की है। क्या आईएमए उनके खिलाफ कार्रवाई करने में सरकार के साथ खड़े होने की हिम्मत दिखाएगा।''

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख