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भोपाल: भोपाल में यूनियन कार्बाइड गैस कांड के पीड़ितों के लिए काम कर रहे चार संगठनों ने रविवार को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर भोपाल में जारी स्वदेशी टीके 'कोवैक्सीन' के क्लीनिकल परीक्षण को अविलंब बंद करने की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को भेजे गए पत्र में इन संगठनों ने 'कोवैक्सीन के क्लीनिकल परीक्षण' में भाग ले रहे लोगों की सुरक्षा और उनके हकों को नजरअंदाज करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और संस्थाओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई और परीक्षण के प्रतिभागियों के सेहत को पहुंची नुकसान के लिए मुआवज़े की मांग भी की है।

1984 में हुए विश्व की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड के पीड़ितों के लिए काम कर रहे इन संगठनों ने इस पत्र की प्रति मीडिया से साझा की है। इस पत्र में ‘भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ’ की अध्यक्ष रशीदा बी, ‘भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन’ की रचना ढींगरा, ‘डाव कार्बाइड के खिलाफ बच्चे’ की नौशीन खान और ‘भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा’ के नवाब खान ने हस्ताक्षर किए हैं।

 

रशीदा बी ने कहा, 'इस टीके को, जिसके बारे में यह मालूम नहीं है कि यह कितनी सुरक्षित है, के परीक्षण में शामिल 1700 लोगों में से 700 लोग यूनियन कार्बाइड के जहर से ग्रस्त हैं। टीका लगने के 10 दिनों के अन्दर एक गैस पीड़ित की मौत हो चुकी है और बहुत लोग अभी भी गंभीर तकलीफें झेल रहे हैं।' उन्होंने कहा कि करीब 12 साल पहले भोपाल मेमोरियल अस्पताल में विदेशी दवा कंपनियों के दवाओं के क्लीनिकल परीक्षणों में 13 गैस पीड़ितों की मौत के लिए आज तक किसी को भी सज़ा नहीं दी गई है।

रशीदा ने कहा, 'हम लोग प्रधानमंत्री को इस उम्मीद के साथ लिख रहे हैं कि फिर से वही इतिहास दोहराया न जाए।' भोपाल गैस पीड़ितों के संगठनों की ओर से उन्होंने यह मांग की कि कोवैक्सीन के परीक्षण में शामिल गैस पीड़ित मृतक के परिवार को कोरोना योद्धाओं को दिया जाने वाला 50 लाख रुपए दिए जाएं।’

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