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ग्वालियर: मध्यप्रदेश में करोड़ों रुपये के व्यापम घोटाले से जुड़े एक मामले में सीबीआई ने बृहस्पतिवार को 60 आरोपियों के खिलाफ यहां एक विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। अभियोजन पक्ष ने यह जानकारी दी। यह मामला 2011 में राज्य के परीक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) में कथित धांधली से संबंधित है। मामले में 4,000 से अधिक पृष्ठों वाला आरोपपत्र दाखिल किया गया है। अभियोजन पक्ष के वकील भूषण शर्मा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में व्यापम मामलों की विशेष सीबीआई अदालत 28 जनवरी से मामले की सुनवाई शुरू करेगी।

शीर्ष न्यायालय ने निर्देश दिया है कि एक समय पर पांच आरोपियों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। शर्मा ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी) सहित अन्य संबंधित धाराओं और भ्रष्टाचार रोधी कानून के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि आरोपियों के बयान दर्ज करने के लिए एक समय पर पांच आरोपियों को अदालत में पेश होने के लिए नोटिस जारी किया जाएगा।

 

बता दें कि बीते साल दिसंबर में व्यापम घोटाले में आरोपी निलंबित डॉक्टर का वेतन भुगतान कराने की कोशिश का मामला उजागर हुआ है। सीएमओ ने इसकी जांच का आदेश दिया है। बताया जाता है कि डॉक्टर की उपस्थिति पंजिका पर फर्जी हस्ताक्षर बनाकर वेतन की कोशिश हो रही थी। फर्जी हस्ताक्षर बनाने वालों की पहचान शुरू कर दी गई है। सीएमओ ने इस बारे में नोटिस भी जारी किया।

देवरिया जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भलुअनी पर डॉ. गौरव शाही की तैनाती थी। मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले में डॉक्टर का नाम आने के बाद सीबीआई उन्हें ढूंढ़ते हुए अस्पताल और सीएमओ ऑफिस पर भी कई बार आई। डॉक्टर के न मिलने पर अस्पताल व सीएमओ ऑफिस पर सीबीआई ने नोटिस भी चस्पा किया था। बाद में डॉक्टर सीबीआई के हत्थे चढ़ गए और मध्यप्रदेश के छतरपुर जेल में कुछ माह तक बंद रहे।

इसके बाद वर्ष 2016 में उन्हें निलंबित कर सीएमओ कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया। नवंबर माह में भी कई दिनों का फर्जी हस्ताक्षर बनाया गया। इसमें अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा हस्ताक्षर किए गए। सीएमओ डॉ. आलोक पांडेय ने वेतन भुगतान के दौरान यह फर्जीवाड़े पकड़ लिया। 

सीएमओ डॉ. आलोक पांडेय के अनुसार, ऑफिस से संबद्ध निलंबित डॉक्टर गौरव शाही का उपस्थिति पंजिका पर नवंबर माह में कई दिन तक फर्जी हस्ताक्षर किया गया।इसकी जानकारी होने के बाद नोटिस जारी कर हस्ताक्षर करने वाले को तीन दिन में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने को कहा। 

 

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