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भोपाल: मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं वेंटिलेटर पर हैं. इसकी कई तस्वीरें सामने आती रही हैं, लेकिन ब्यावरा से आई एक तस्वीर बताती है कि सरकार इन बुनियादी सुविधाओं को लेकर कितनी ग़ैर ज़िम्मेदार है। ब्यावरा के सिविल अस्पताल में पूजा बाई को बिस्तर अस्पताल के बाहर मिला, जिसमें ना तकिया था, ना गद्दा और ना चादर, ड्रिप पेड़ से लटकी हुई। अस्पताल का कहना है उसके पास 30 बेड हैं, लेकिन मौसमी बीमारियों से अस्पताल भरा पड़ा है, 80 रोगी भर्ती हैं. ऊपर से नर्स और डॉक्टर बेहद कम, प्रभारी डॉक्टर का कहना है कि संबंधित नर्स को नोटिस भेजकर सफाई मांगी जाएगी। डॉ. एस एस गुप्ता ने कहा, 'खुले आसमान में ड्रिप लगाना गलत है, संबंधित से हम पूछेंगे ऐसी स्थिति क्यों निर्मित हुई। सरकार का कहना है कि मामले की जांच होगी, लेकिन विपक्ष उसे घेरने को तैयार बैठा है। मंत्री पारस जैन ने कहा मामला प्रभारी मंत्री और प्रशासन को देखना चाहिये, लेकिन ऐसा होना नहीं चाहिये, अस्पताल को करना नहीं चाहिये था।

वहीं मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा एक गर्भवती महिला को बिस्तर पर लिटा दिया, ड्रिप पेड़ पर टांग दिया, मुख्यमंत्री सिर्फ कागजों पर सरकार चला रहे हैं, स्वास्थ्य की जो दुर्दशा है वो टीवी पर दिख रहा है। मध्यप्रदेश में 51 जिला अस्पताल, 66 सिविल अस्पताल हैं लेकिन सुविधाएं ऐसी जो तकरीबन 8 करोड़ की आबादी के लिये ऊंट के मुंह में जीरे के मानिंद हैं। मध्यप्रदेश में 15,000 डॉक्टरों की जरूरत है, सरकारी अस्पतालों में हैं बमुश्किल आधे से भी कम, ग्रामीण इलाकों की हालत और बुरी है।

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