नई दिल्ली: मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगाने से इंकार कर दिया। हालांकि कोर्ट ने बुधवार को मामले को मध्यप्रदेश से दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया। शीर्ष अदालत ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह उचित पीठ गठित कर गुरुवार से ही सुनवाई करे और मामले का निपटारा 17 जुलाई से पहले करे। दरअसल, मिश्रा राष्ट्रपति चुनाव में वोट देने की अनुमति चाहते हैं। भाजपा नेता ने 17 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव में वोट देने की अनुमति के लिए दायर याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने इससे इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने मिश्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और कांग्रेस के नेता राजेंद्र भारती की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कहा कि वे दिल्ली हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश के समक्ष शाम को ही पेश होकर, मामले की सुनवाई के लिए पीठ गठित करने का आग्रह करें। पीठ ने कहा कि हम इस संबंध में आदेश पारित कर रहे हैं।
हालांकि रोहतगी ने इसका विरोध किया और कहा कि ऐसा करने से प्रतिवादी के आरोप सही माने जाएंगे, जिसमें उसने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ पक्षपात के आरोप लगाए हैं। इस पर पीठ ने कहा प्रतिवादी भारती से कहा कि वह अपने आरोप वापस लें और माफी मांगें। भारती की ओर से सिब्बल ने माफी मांग ली। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट को इस मामले की गुरुवार से ही सुनवाई करनी चाहिए और राष्ट्रपति चुनाव के लिए 17 जुलाई को होने वाले मतदान से पहले इसे पूरा कर लेना चाहिए। निवार्चन आयोग ने मिश्रा को 2008 के विधानसभा चुनावों में मीडिया में लेखों और संपादकीय से संबंधित चुनावी खर्च के बारे में गलत जानकारी देने का दोषी ठहराया है। आयोग ने 23 जून को दिए फैसले में उन्हें तीन साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था। इसके साथ ही आयोग ने पेड न्यूज के बारे में कुछ कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया था। कांग्रेस नेता राजेंद्र भारती ने 2009 में मिश्रा की शिकायत चुनाव आयोग से की थी। उन्होंने मिश्रा पर चुनाव खर्च की गलत जानकारी देने का आरोप लगाया था। यह मामला आयोग में चलता रहा। इस बीच, 2013 के चुनाव में भी मिश्रा को जीत मिली।