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मुंबई: बदलापुर कांड के आरोपी अक्षय शिंदे की सोमवार (23 सितंबर) को एनकाउंटर में मौत हो गई. वहीं अब इस एनकाउंटर पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि इस एनकाउंटर की न्यायिक जांच होनी चाहिए। उनके अलावा सुप्रिया सुले ने भी इस न्याय व्यवस्था की पूरी तरह विफलता बताया।

विजय वडेट्टीवार ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, "अक्षय शिंदे को गोली मारना सबूत मिटाने की कोशिश है। अक्षय शिंदे ने गोली कैसे मारी। क्या पुलिस हिरासत में आरोपी अक्षय के हाथ बंधे नहीं थे। उसे बंदूक कैसे मिली पुलिस इतनी लापरवाह कैसे हो सकती है।"

उन्होंने आगे लिखा, "बदलापुर मामले में एक तरफ संस्था के संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती, जबकि वे बीजेपी से जुड़े हैं, वहीं दूसरी तरफ आज आरोपी अक्षय शिंदे ने खुद को गोली मार ली, यह बहुत चौंकाने वाला और संदेहास्पद है। बदलापुर मामले में पुलिस की भूमिका पर हम शुरू से ही विश्वास नहीं करते। हम मांग करते हैं कि अब इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए।"

सुप्रिया सुले ने न्याय व्यवस्था की विफलता बताया

वहीं इस मामले पर शरद पवार की पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, "बदलापुर में दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न मामले में महायुति सरकार का रवैया चौंकाने वाला है! पहले एफआईआर दर्ज करने में देरी और अब मुख्य आरोपी की हिरासत में हत्या! यह कानून प्रवर्तन और न्याय व्यवस्था की पूरी तरह विफलता है। ऐसी घटनाओं से महाराष्ट्र के लोग न्याय से वंचित रह जाते हैं।"

हाईकोर्ट के जजों से जांच करवाई जाए: नाना पटोले

वहीं इस मामले में महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, "खबर मिली है कि बदलापुर में यौन उत्पीड़न के मामले में आरोपी अक्षय शिंदे की पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई है। पता चला है कि शिंदे ने पुलिस से बंदूक छीनकर खुद पर और पुलिस पर गोली चलाई और पुलिस की गोली से उसकी मौत हो गई।"

नाना पटोले ने आगे कहा, "इस घटना ने कुछ गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जैसे बदलापुर कांड में स्कूल ट्रस्टी अभी तक गिरफ्तार नहीं, वे फरार हैं, उन्हें अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा सका? क्या इस मामले में फरार आरोपियों को बचाने के लिए मुख्य आरोपी का एनकाउंटर कर मामले को खत्म करने की कोशिश की जा रही है? क्या पूरे मामले को दबाने के लिए पुलिस ने उच्चस्तरीय प्रयास के तहत आरोपियों के साथ एनकाउंटर किया है? इस मामले की सच्चाई सामने लाने के लिए हाईकोर्ट के मौजूदा जजों से जांच करवाई जानी चाहिए।"

 

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