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मुंबई: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर सर्वदलीय बैठक खत्म हो गई है। इस बैठक के बाद सीएम शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र मराठा आरक्षण के समर्थन में है। बता दें कि सीएम शिंदे ने राज्य में इस आंदोलन की वजह से बिगड़ रहे हालात को देखते हुए इस सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। सीएम शिंदे ने कहा कि मराठा आरक्षण पर दो तरह से काम जारी है। राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने को लेकर बैठक में एक प्रस्ताव पास किया गया है। हमने मनोज जरांगे पाटिल से आंदोलन स्थगित करने की अपील भी की है।

खास बात ये है कि इस बैठक के लिए उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी को आमंत्रण नहीं दिया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा था कि सीएम शिंदे विपक्षी नेताओं को स्थिति से निपटने के लिए सरकार की योजनाओं से अवगत कराएंगे और उनका समर्थन मांगेंगे। पिछले कुछ दिनों में राज्य के कई हिस्सों में हिंसा की घटनाएं देखी गई हैं। बैठक के बीच सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार इस बैठक में राज्य में लॉ एंड ऑर्डर बनाएं रखने को लेकर सभी दल की एक साथ सहमति बनी थी।

राज्य के सभी बड़े मराठा समाज के नेताओं को विश्वास में लिया जाए। साथ ही विपक्षी नेताओं ने मांग की है कि केंद्र में बीजेपी की सरकार है ऐसे में इस आरक्षण के विषय पर संसद में शीतकालीन सत्र के समय बिल लाया जाए।

शेतकरी कामगार पार्टी के नेता जयंत पाटिल ने कहा कि क्यूरेटिव पेटिशन के अलावा केंद्र ने आरक्षण की मर्यादा 50 प्रतिशत से ज़्यादा बढ़ाने पर काम करना चाहिए और दिसंबर तक मराठा आरक्षण दिया जाए। दोनों जगह यानि की केंद्र और राज्य में मराठा समाज का प्रश्न हल करें। वहीं, बच्चू काडु ने कहा कि मराठा और कुनबी का एक साथ आरक्षण दिया जाए।

राज्य में कई जगहों पर बिगड़ी कानून व्यवस्था

इस आंदोलन की वजह से मराठवाड़ा के पांच जिलों में सरकारी बस सेवाएं पूरी तरह से निलंबित कर दी गई हैं। जबकि बीड के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट बंद कर दिया गया है। जहां प्रदर्शनकारियों ने राजनीतिक दलों के नेताओं के आवासों को निशाना बनाया था। मुख्यमंत्री ने लोगों से हिंसा नहीं करने की अपील की है और राजनीतिक दलों से भी ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होने से बचने को कहा है जिससे स्थिति खराब हो।

महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को एक आदेश जारी कर संबंधित अधिकारियों से पात्र मराठा समुदाय के सदस्यों को नए कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करने को कहा, ताकि उनके लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण लाभ प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त हो सके।

सीएम शिंदे ने दिया बड़ा बयान

सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में अधिकारियों से कुनबियों के संदर्भ वाले और उर्दू व ‘मोड़ी' लिपि (जिसका उपयोग पहले के समय में मराठी भाषा लिखने के लिए किया जाता था) में लिखे पुराने दस्तावेजों का अनुवाद करने के लिए कहा। इन दस्तावेजों का डिजिटलीकरण किया जाएगा, प्रमाणित किया जाएगा और फिर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा। यह फैसला ऐसे वक्त आया है जब मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि सरकार द्वारा नियुक्त समिति ने 1.72 करोड़ पुराने दस्तावेजों (निजाम-काल सहित) की जांच की और उनमें से 11,530 ऐसे रिकॉर्ड पाए गए, जहां कुनबी जाति का उल्लेख किया गया है।

कृषि से जुड़ा कुनबी समुदाय महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत आता है और समुदाय को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण लाभ मिलता है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि मुख्यमंत्री शिंदे द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में उनकी पार्टी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को आमंत्रित नहीं किया गया है।

राउत ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि महाराष्ट्र जल रहा है और शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार शर्मनाक राजनीति का सहारा ले रही है।

उन्होंने ‘एक्स' पर पोस्ट किया कि ऐसे दलों के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है, जिनका केवल एक विधायक है या जिनके पास कोई विधायक नहीं है। लेकिन 16 विधायकों और छह सांसदों वाली पार्टी को निमंत्रण नहीं दिया गया है क्योंकि शिवसेना (यूबीटी) उनकी आंखों की किरकिरी बन गई है। ठाकरे के करीबी सहयोगी राज्यसभा सदस्य ने कहा कि उनकी पार्टी को किसी सम्मान की जरूरत नहीं है, लेकिन वह चाहते हैं कि मराठा आरक्षण के लंबित मुद्दे का जल्द समाधान हो।

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