जयपुर (जनादेश ब्यूरो): राजस्थान सरकार में चल रहे उठापटक के शांत होने के बाद आज परीक्षा की घड़ी आ गई है। राज्य में विधानसभा सत्र शुरू हो गया है जहां कांग्रेस विश्वास मत के साथ बहुमत साबित करने के लिए तैयार है। वहीं, भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में थी, लेकिन गहलोत ने अपनी चाल पहले ही चल दी। हालांकि, सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के कांग्रेस में लौट आने के बाद हालात कांग्रेस के पक्ष में ही हैं। विधानसभा का विशेष सत्र शुरू हो गया है। इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्विटर पर सत्यमेव जयते लिखा।
राजस्थान सरकार में कानून और संसदीय मामलों के मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने कहा कि हम विश्वास मत ला रहे हैं, यह हमेशा पहले आता है। हमारे पास बड़ा बहुमत है। दो घंटे स्थगित रहने के बाद विधानसभा सत्र फिर शुरू हो गया है। अब धारीवाल ने विश्वास मत के लिए विधानसभा में प्रस्ताव रखा है। विधानसभा सत्र में सबसे पहले चीन सीमा पर गलवां घाटी क्षेत्र में शहीद हुए 20 जवानों को श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद कांग्रेस ने विश्वास मत का प्रस्ताव रखा। कांग्रेस के चीफ व्हिप महेश जोशी ने स्पीकर सीपी जोशी के सामने विश्वास मत के लिए नोटिस रखा था। स्पीकर ने इस नोटिस पर आज एक बजे फैसला लेने की बात कही।
इसके बाद सदन की कार्रवाई एक बजे तक के लिए स्थगित कर दिया था। इसके बाद धारीवाल ने प्रस्ताव पेश किया।
दूसरी पंक्ति में बैठे सचिन पायलट
सदन में बैठने की व्यवस्था में भी बदलाव हुआ है। उप मुख्यमंत्री के पद से हटाए जाने के बाद सचिन पायलट अशोक गहलोत के साथ वाली सीट के स्थान पर दूसरी पंक्ति में बैठे। पायलट को निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा के पास वाली सीट संख्या 127 अलॉट की गई है। गहलोत के पास की सीट पर शांति धारीवाल बैठे। इससे पहले पायलट और गहलोत विधानसभा में भी अलग-अलग आए थे।
विधानसभा का गणित गहलोत के पक्ष में
बता दें कि पायलट की वापसी के साथ ही कांग्रेस की विधानसभा में संख्या 107 हो गई है। सभी 13 निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं और छोटे दलों के समर्थन के साथ गहलोत के पास 125 विधायकों का संख्या बल है। 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में 101 बहुमत का आंकड़ा है। वहीं, भाजपा इस आंकड़े से बहुत दूर है, उसके पास महज 75 विधायक हैं।