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नई दिल्ली: राजस्थान में सरकार बचाने की कोशिश में जुटे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की लड़ाई अब अंतिम पड़ाव की ओर पहुंच गई है। 14 अगस्त को विधानसभा सत्र बुलाया गया है, जहां विश्वास मत की तैयारी है। लेकिन इससे पहले विधायकों को तोड़ने की आशंका भी जताई जा रही है। यह डर न सिर्फ कांग्रेस को बल्कि भाजपा को भी सताने लगा है। यही वजह है कि उसके 6 विधायक गुजरात में देखे गए हैं। वहीं कांग्रेस ने अपने विधायकों को जैसलमेर भेज दिया है। इससे पहले उन्हें काफी दिनों तक जयपुर के एक होटल में ठहराया गया है। उधर बागी विधायकों के सामने भी शर्तें रखी गई हैं कि अगर वे मान लेते हैं तो उनको दोबारा शामिल करने पर विचार किया जा सकता है। इस पूरी कवायद के बीच रविवार को जैसलमेर में सीएम अशोक गहलोत ने विधायक दल की बैठक को संबोधित किया है।

उनका अंदाज एक सेनापति की तरह था जो निर्णायक युद्ध की तरफ जाने को तैयार है। उन्होंने विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि सदन में सभी को एकता दिखानी है। हम सभी 'लोकतंत्रिक योद्धा' हैं। गहलोत ने आगे कहा, 'हम इस लड़ाई को जीतने जा रहे हैं और साढ़े तीन साल बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव भी जीतेंगे।

जिस तरह अभी तक आपने एकता दिखाई है, उसी तरह सदन में एकता दिखाना है।'

गौरतलब है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार सचिन पायलट की अगुवाई में 18 विधायकों बगावत का सामना कर रही है। जिसके बाद माना जा रहा है कि राज्य सरकार संकट में है। लेकिन सीएम अशोक गहलोत ने 114 अगस्त को विधानसभा सत्र बुला लिया है। माना जा रहा है कि इस दौरान वह विश्वास मत ला सकते हैं।

इससे पहले गहलोत ने अपने सभी विधायकों से कहा है कि वह अपने-अपने क्षेत्र में जाकर जनता की कल्याण के लिए उठाए गए कदमों की लिस्ट लोगों को सौपें साथ ही ये भी बताएं कि इन पर आगे भी काम होगा. विधायक दल की बैठक में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह दोस्तारा, अजय माकन, रणदीप सिंह सुरजेवाला भी मौजूद थे. इस मौके पर कांग्रेस महासचिव ने कहा कि कांग्रेस का इतिहास तो आजादी से पहले से ही संघर्ष का रहा है. उन्होंने दूसरी पार्टियों के विधायकों का भी धन्यवाद दिया जो इस संकट में साथ खड़े हैं।

 

 

 

 

 

 

 

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