जयपुर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक मदन दिलावर ने मंगलवार को राजस्थान हाई कोर्ट में एक और याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी है। इससे पहले एक याचिका में उन्होंने पिछले साल कांग्रेस के साथ राज्य में छह बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायकों के विलय का विरोध किया गया था। हाई कोर्ट ने सोमवार को दिलावर की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को उनकी शिकायत पर कार्रवाई करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति महेंद्र कुमार गोयल की एकल सदस्यीय पीठ ने दिलावर की याचिका को खारिज कर दिया क्योंकि विधायक की शिकायत पर स्पीकर ने पहले ही फैसला कर लिया था। कोटा जिले की रामगंजमंडी सीट से विधायक दिलावर ने शुक्रवार को हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा कि स्पीकर ने बीएसपी के छह विधायक- संदीप यादव (तिजारा), वाजिब अली (नगर), दीपचंद खेरिया (किशनगढ़ बास) को घोषित किया, लखन मीणा (करौली) और राजेंद्र गुढ़ा (उदयपुरवाटी) - 18 सितंबर, 2019 को कांग्रेस में चले गए। इसने सदन में कांग्रेस की स्थिति को मजबूत किया।
दिलावर ने 16 मार्च को स्पीकर को याचिका दी थी, जिसमें संविधान की 10 वीं अनुसूची (दलबदल विरोधी कानून) के तहत बसपा विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी। स्पीकर ने सोमवार तक याचिका पर फैसला नहीं किया। बसपा प्रमुख मायावती ने 2019 में विलय के समय राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया था। इससे पहले, बसपा के छह विधायकों ने 2008 में विधानसभा में कांग्रेस के साथ विलय कर लिया था। गहलोत उस समय मुख्यमंत्री थे।