जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राजभवन के घेराव वाले बयान पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने शुक्रवार (24 जुलाई) सख्त प्रतिक्रिया दी है और पूछा है कि अगर राज्यपाल की सुरक्षा मुख्यमंत्री नहीं करेगा तो फिर यह किसकी जिम्मेदारी है। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखते हुए कहा, "इससे पहले कि मैं विधानसभा सत्र के लिए विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा करता, आपने सार्वजनिक तौर पर कह दिया कि अगर राजभवन का घेराव होता है, तो यह आपकी जिम्मेदारी नहीं होगी।"
राज्यपाल ने गहलोत से कहा, "अगर आप और आपके गृह मंत्री राज्यपाल की सुरक्षा नहीं कर सकते, तो राज्य में कानून-व्यवस्था का क्या होगा? राज्यपाल की हिफाजत के लिए किस सुरक्षा एजेंसी से संपर्क करना होगा? मैंने आज तक कभी भी किसी मुख्यमंत्री से इस तरह का बयान नहीं सुना। राजभवन में विधायकों का प्रदर्शन... क्या यह एक गलत ट्रेंड की शुरुआत नहीं है?"
विधानसभा सत्र को लेकर राजभवन जाने से ठीक पहले अशोक गहलोत ने कहा था कि राज्यपाल महोदय हम सब आ रहे हैं अभी राजभवन के अंदर, उनसे सामूहिक रिक्वेस्ट करेंगे कि आप दबाव में किसी के नहीं आएं।
उन्होंने कहा, आपका संवैधानिक पद है, शपथ ली हुई है, अपनी अंतरआत्मा के आधार पर, शपथ की जो भावना होती है उसको आधार बनाकर फैसला करें, वरना फिर हो सकता है कि पूरे प्रदेश की जनता अगर राजभवन को घेरने के लिए आ गई तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी।
राजभवन के घेराव वाले बयान पर गहलोत ने दी सफाई
जनता राजभवन का घेराव करेगी संबंधी अपने बयान पर अशोक गहलोत ने कहा, ''1993 में भैंरोसिंह शेखावत ने कहा था कि अगर बहुमत मेरे पास है और हमें नहीं बुलाया गया तो राजभवन का घेराव होगा। राजभवन का घेराव होगा ...यह राजनीतिक भाषा होती है। जनता को समझाने के लिए, संदेश देने के लिए।" गहलोत ने कहा कि कभी भैंरो सिंह शेखावत यहीं पर धरने पर बैठे थे। गहलोत ने कहा, ''भाजपा के नये-नये नेता पैदा हुए हैं उन्हें कोई जानकारी नहीं। इन्हें चाहिए कि हम जैसे वरिष्ठ नेताओं से कुछ बातचीत करें और कुछ ज्ञान लें।"
संवैधानिक मर्यादा से ऊपर कोई नहीं: राज्यपाल
इससे पहले राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने शुक्रवार को कहा कि संवैधानिक मर्यादा से ऊपर कोई नहीं होता है और किसी प्रकार की दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए। राजभवन की ओर से राज्यपाल मिश्र का यह बयान शुक्रवार की रात को जारी किया गया। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस और उसके समर्थक विधायक विधानसभा सत्र बुलाए जाने की मांग को लेकर शुक्रवार की दोपहर राज्यपाल से मिले और राजभवन में धरने पर भी बैठे। राज्यपाल के बयान को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
इस बयान के अनुसार, ''राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि संवैधानिक मर्यादा से ऊपर कोई नहीं होता है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए।" बयान के अनुसार, ''राज्य सरकार ने 23 जुलाई, 2020 की रात को विधानसभा के सत्र को अत्यन्त ही अल्प नोटिस के साथ आहूत किए जाने की पत्रावली पेश की। पत्रावली में गुण दोषों के आधार पर राजभवन द्वारा परीक्षण किया गया तथा विधि विशेषज्ञों द्वारा परामर्श प्राप्त किया गया। इसके बाद राजभवन ने कुछ बिंदु उठाते हुए राज्य सरकार के संसदीय कार्य विभाग से कहा कि वह इन बिंदुओं के आधार पर स्थिति पेश करे।"