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मुंबई: कोरोना वायरस संकट के बीच बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद लगातार प्रवासी मजदूरों की मदद कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनकी इस पहल की काफी तारीफ भी हो रही है। लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूर काफी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। इन परेशानियों के बीच कई लोग उनकी मदद को आगे आए हैं। इन लोगों में एक बड़ा नाम है बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद। सोनू सूद को फिल्मी किरदार में अब तक विलेन के रूप में देखते रहे हैं, लेकिन समाज में वो हीरो के तौर पर निकलकर आए हैं। उन्होंने इस संकट की घड़ी में हजारों मजदूरों की मदद की है।

सोनू सूद ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, "जिन मजदूरों को हमने सड़कों पर छोड़ दिया। वो वे लोग हैं, जिन्होंने हमारे घर बनाए, जिन्होंने हमारे लिए सड़कों का निर्माण किया। हमारे ऑफिस बनाए। हम जहां शूटिंग करते हैं, वो जगह बनाई। आज हमने उन्हें सड़कों पर छोड़ दिया। हमने उनके बच्चों, उनके माता-पिता के साथ छोड़ दिया। हम उनके बच्चों के जहन में वो यादें डाल रहे हैं, जब वो बड़े होंगे तो याद करेंगे कि हजारों किलोमीटर पैदल चलकर बड़ी मुश्किल से अपने घरों में पहुंचे और कुछ लोग तो पहुंच भी नहीं पाए। मुझे लगा कि इन लोगों को ऐसे नहीं छोड़ सकते। हमें इनके लिए कुछ करना चाहिए।

सोनू सूद ने बताया कि हम बहुत सारे लोगों को हाइवे पर खाना खिला रहे थे। मैं मेरी एक दोस्त के साथ खाना खिला रहा था, तो हमें एक परिवार मिला, जो पैदल कर्नाटक की ओर जा रहा था। 600-700 किलोमीटर दूर जा रहे थे. छोटे-छोटे बच्चे थे। फिर मैंने सोचा कि क्यों ना परमिशन लेकर हम इन्हें इनके घर छोड़े।. फिर मैंने इनके लिए महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकार से सारी मंजूरी ली।

उन्होंने बताया कि पहली बार में हमने 302 लोगों को एक साथ भेजा और उनकी आंखों में आंसू थे। कुछ लोग रो पड़े। मुझे लगा कि ये तो वे साढ़े तीन सौ लोग हैं, जिन्हें हम भेज पा रहे हैं। लेकिन बहुत सारे लोग तो पूरे देश में कोने-कोने में अटके हुए होंगे। इसके बाद हमने सभी जगहों से लोगों को उनके घर भेजना शुरू किया। मैंने यूपी सरकार से बात की। बिहार में बात की। हर राज्य की सरकारों से बातें करके हमने उन्हें उनके घर भिजवाया।

बॉलीवुड एक्टर ने बताया कि बहुत मुश्किलें आईं। मेरे माता-पिता ने बहुत जोश दिया। हमेशा कहा है कि आप तभी सफल हो, जब आप किसी का हाथ थामकर उसे उसकी मंजिल तक पहुंचा सकते हैं। मेरा परिवार मेरे साथ दिन-रात लगा रहता है। हमारी पूरी टीम दिन-रात जागकर काम कर रही है। लिस्ट बनाई जा रही है। अकेले संभव नहीं था। लेकिन जैसे-जैसे आगे बढ़ते गए लोग जुड़ते गए। मेरा कारवां बनता गया। लेकिन लिस्ट अभी भी लंबी है। हमने हेल्पलाइन नंबर शुरू किया। हमारे पास ईमेल, फोन कॉल और मैसेज बहुत आ रहे थे। इसलिए हमने हेल्पलाइन नंबर जारी किए। उन्हें जारी करने के कुछ ही घंटों बाद 60 से 70 हजार कॉल हमारे पास आ गए। हमने पूरा सिस्टम बनाया है। हमारे लिए 24 घंटे भी लोगों की मदद के लिए कम पड़ रहे हैं। शायद 30 से 32 घंटे होते तो ज्यादा लोगों की मदद कर सकते।

उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हम प्रवासी मजदूरों को भूल गए हैं। 20 प्रवासी मजदूरों की मौत के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ था। कोई किसी का भाई था, किसी का बेटा था। हमने उन्हें सिर्फ एक चीज बना दिया, जिसमें जान ही न हो। हम जिसे दिल की दड़कन कहते हैं, अगर हम उन्हें छोड़ देेंगे, भूल जाएंगे और सिर्फ एक प्रवासी का नाम देते हैं तो मुझे लगता है कि फेल हो जाएंगे। मुझे लगता है कि अगर सरकार इनके जाने के लिए सिस्टम थोड़ा आसान कर देती तो ये आसानी से चले जाते। इन प्रवासी मजदूरों को तो घर जाना ही है। ये फॉर्म नहीं भर सकते हैं। इनके लिए फॉर्म भरने से ज्यादा आसान हजार किलोमीटर चलना है। इन्होंने वो रास्ता चुना और हमने देखा की उसका क्या अंजाम हुआ।

फिल्म जगत से तारीफ मिलने के सवाल पर सोनू सूद ने कहा कि मैं जो कर पाया उसके लिए मुझे अच्छा लगता है। बहुत खुश हूं, माता-पिता का आशीर्वाद है। जैसा कि आपने बोला की संजय गुप्ता जो कि मेरे दोस्त हैं, उन्होंने मुझे मैसेज किया कि मुझे तेरे राइट्स चाहिए और मैंने सुना की अक्षय तेरे को प्ले करेगा। तो मैंने बोला की ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा अगर कभी ऐसा होगा तो मैं खुद प्ले करूंगा। आप ऐसे ही मजाक कर रहे हैं। लेकिन एक अनुभव है रोज नई चीजें सीखने को मिल रही हैं।

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