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नई दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर ने गुरुवार को एक सार्वजनिक बैठक के दौरान नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की तुलना 1919 के रॉलेट एक्ट से की। यह बैठक सीएए, राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ नॉन वायलेंट पीपुल्स मूवमेंट ने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित की थी।

लोगों को संबोधित करते हुए मातोंडकर ने कहा, '1919 का रॉलेट एक्ट और 2019 का सीएए ऐसे दो अधिनियम हैं जिन्हें इतिहास में 'काले कानून' के रूप में जाना जाएगा। सीएए गरीब लोगों के खिलाफ है। जैसा कि कहा जा रहा है यह कानून मुस्लिम विरोधी है। हम ऐसा अधिनियम नहीं चाहते हैं जो धर्म के आधार पर मेरी पहचान और नागरिकता का पता लगाता हो। यह हमारे संविधान में है कि आप धर्म, भाषा, लिंग या क्षेत्र के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते।'

 क्या था रॉलेट एक्ट?

रॉलेट एक्ट को काला कानून भी कहा जाता है। यह कानून तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में उभर रहे राष्ट्रीय आंदोलन को कुचलने के लिए बनाया गया था। ये कानून सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली सेडिशन समिति की सिफारिशों के आधार पर बनाया गया था। इस कानून के तहत ब्रिटिश सरकार को ये अधिकार प्राप्त हो गया था, कि वह किसी भी भारतीय पर अदालत में बिना मुकदमा चलाए, उसे जेल में बंद कर सकती थी। इस कानून के तहत अपराधी को उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने वाले का नाम जानने का भी अधिकार नहीं था। इस कानून का पूरे देश में जमकर विरोध हुआ था। देशव्यापी हड़तालें, जूलूस और प्रदर्शन होने लगे थे। महात्मा गांधी ने बड़े पैमाने पर हड़ताल का आह्वान किया था।

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