गोवा: गोवा में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव (इफ्फी) में भारतीय सिनेमा में नई धारा के पुनरावलोकन के लिए एक नया खंड बनाया गया है। भारतीय सिेनेमा की नई धारा में वास्तविक जीवन के विविध आयामों को अनेक प्रकार से परिभाषित किया गया है। इस काल खंड में महान फिल्म निर्माताओं को याद करते हुए का एक खंड शुरू हुआ।
इफ्फी के इस खंड में 1950 के उत्तरार्ध से लेकर 1970 के दशक के अंत तक, भारतीय सिनेमा ने फिल्म निर्माताओं की एक नई पीढ़ी को एक नए क्षेत्र में काम करते देखा है, जिसमें मृणाल सेन, मणि कौल, कुमार साहनी, श्याम बेनेगल और अदूर गोपालकृष्णन जैसे फिल्मनिर्माता शामिल थे। इनकी फिल्मों की कथा, शैली और बजट मुख्यधारा की बॉलीवुड फिल्में की तुलना में अलग था। इस शैली की 12 फिल्में गोवा में 'इंडियाज न्यू वेव सिनेमा रेट्रोस्पेक्टिव' के तहत प्रदर्शित की जाएंगी। जिसकी शुरूआत ऋत्विक घटक की बंगला फिल्म अजांत्रिक और मेघे ढाका तारा से हुई। श्याम बेनेगल की भूमिका और अंकुर, मणि कौल की उसकी रोटी और अदूर गोपालकृष्णन की स्वयंवरम प्रदर्शित होने वाली अन्य प्रमुख फिल्में हैं।
फिल्म दुविधा आज सुबह मैक्विनेज पैलेस थिएटर में प्रदर्शित की गई। 1973 में मणि कौल की फिल्म एक गैर-परंपरागत फिल्म है, इसमें एक भूत एक नवविवाहित महिला के प्यार में पड़ जाता है, जिसका पति व्यापार के लिए दूर चला गया है। लेखक विजयदान देथा की कृति पर आधारित इस फिल्म में, लोक संगीत का बेहतरीन उपयोग किया गया है। इसकी रिमेक फिल्म पहेली 2005 में रिलीज हुई थी, जिसमें शाहरुख खान ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। फिल्म महोत्सव में लगातार फिल्मों का प्रदर्शन जारी रहेगा। रेट्रोस्पेक्टिव एक तरह से भारतीय फिल्म निर्माताओं के लिए खुशी का स्रोत है।