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नई दिल्ली: वरिष्ठ अभिनेता, साहित्यकार और नाटककार गिरीश कनार्ड का सोमवार सुबह निधन हो गया है। वह 81 साल के थे। गिरीश कर्नाड काफी समय से बीमार चल रहे थे। मिली जानकारी के अनुसार कनार्ड का जब निधन हुआ तब वह बेंगलुरु में थे। गौरतलब है कि 1960 के दशक में उनके ‘यायाती’ (1961), ऐतिहासिक ‘तुगलक’ (1964) जैसे नाटकों को समालोचकों ने सराहा था, जबकि उनकी तीन महत्वपूर्ण कृतियां ‘हयवदना’(1971), ‘नगा मंडला’(1988) और ‘तलेडेंगा’(1990) ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की। कर्नाड को पद्मश्री और पद्म भूषण से नवाजा जा चुका है।

अपने दमदार अभिनय से फैंस दिलों पर राज करने वाले फेमस एक्टर और कन्नड़ साहित्यकार गिरीश कर्नाड के निधन की वजह मल्टीपल ऑर्गेन का फेल होना है। गिरीश कर्नाड लंबे समय से बीमार चल रहे थे। पिछले कुछ महीनों से उनका इलाज चल रहा था। गिरीश कर्नाड को आखिरी बार सलमान खान की फिल्म टाइगर जिंदा में देखा गया था।

इस फिल्म में सलमान खान को अलग-अलग मिशन पर भेजने वाले अभिनेता गिरीश कर्नाड ही थे।

गिरीश कर्नाड को 1978 में आई फिल्म भूमिका के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था। उन्हें 1998 में साहित्य के प्रतिष्ठ‍ित ज्ञानपीठ अवॉर्ड से नवाजा गया था। गिरीश कर्नाड ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने व्यवसायिक सिनेमा के साथ समानांतर सिनेमा के लिए भी जमकर काम किया।

गिरीश ने कन्नड़ फिल्म संस्कार(1970) से अपना एक्टिंग और स्क्रीन राइटिंग डेब्यू किया था। इस फिल्म ने कन्नड़ सिनेमा का पहले प्रेजिडेंट गोल्डन लोटस अवार्ड जीता था। बॉलीवुड में उनकी पहली फिल्म 1974 में आयी जादू का शंख थी। बॉलीवुड फिल्म निशांत (1975), शिवाय और चॉक एन डस्टर में भी काम किया था।

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