नई दिल्ली: खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 7.61 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे से ऊपर है। सरकार द्वारा बृहस्पतिवार को जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आंकड़ों के अनुसार, इससे एक माह पहले सितंबर 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति 7.27 प्रतिशत थी। वहीं एक साल पहले अक्टूबर 2019 में यह 4.62 प्रतिशत रही थी।
सामान्य मुद्रास्फीति में वृद्धि मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण हुई। आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) की वृद्धि सितंबर के 10.68 प्रतिशत से बढ़कर अक्टूबर में 11.07 प्रतिशत पर पहुंच गई। रिजर्व बैंक मुख्य नीतिगत दरों पर निर्णय लेने के दौरान मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घटबढ़ के दायरे के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी है।
बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए उपाय कर रही है केंद्र सरकार: सीतारमण
दूसरी ओर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि जल्दी खराब होने वाले सामानों का मुद्रास्फीति पर दबाव पड़ रहा है और सरकार बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए अल्प तथा मध्यम अवधि के उपाय कर रही है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति सितंबर में सात महीने के उच्च स्तर 1.32 प्रतिशत पर पहुंच गई।
नई दिल्ली में सीतारमण ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि कुछ जिलों में बाढ़ के कारण मौसमी उत्पादों की कीमतों में तेजी आई। सरकार उनके बेहतर तरीके से रखरखाव, लंबे समय तक उन्हें खाने लायक बनाए रखने और प्याज तथा आलू जैसे फसलों के लिए ऐसी भंडारण व्यवस्था उपलब्ध करा रही है, जिस पर मौसम का कोई असर नहीं पड़े।