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मुंबई: मुंबई की एक विशेष अदालत ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर के पति और मनीलॉन्ड्रिंग मामले के एक आरोपी दीपक कोचर की जमानत याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। कोचर ने जमानत अर्जी यह दावा करते हुए दायर की थी कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ निर्धारित अवधि में आरोप पत्र दाखिल करने में असफल रहा, इसलिए वह जमानत के हकदार हैं।

दीपक कोचर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन मनीलॉन्ड्रिंग मामले में धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गत सितंबर में गिरफ्तार किया था। व्यवसायी कोचर ने अपने वकील के माध्यम से गुणदोष के साथ-साथ इस आधार पर भी जमानत याचिका दायर की थी कि अभियोजन पक्ष निर्धारित अवधि के भीतर मामले में आरोपपत्र दायर करने में विफल रहा है।

ईडी के वकील हितेन वेनेगावकर ने कहा कि विशेष पीएमएलए न्यायाधीश ने उनकी 'डिफ़ॉल्ट' जमानत याचिका खारिज कर दी, जबकि गुणदोष के आधार पर दायर उनकी जमानत अर्जी पर 23 नवंबर को सुनवाई होगी।

जांच एजेंसी के समय पर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहने के कोचर के दावे पर अभियोजन पक्ष ने कहा था कि आरोपपत्र तीन नवंबर को दायर किया गया था, लेकिन यह संबंधित विभाग के पास जांच के लिए लंबित है, क्योंकि पांच बक्से दस्तावेजों से भरे हुए हैं, जिसे सत्यापित करने की आवश्यकता है। इसलिए अभी अदालत द्वारा अभियोजन पक्ष की शिकायत का संज्ञान लिया जाना बाकी है।

ईडी ने दीपक कोचर को गत सितंबर में गिरफ्तार किया था। ईडी ने कोचर की यह गिरफ्तारी कोचर, वीडियोकॉन समूह के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत और अन्य के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद मनीलॉन्ड्रिंग का आपराधिक मामला दर्ज करने के बाद की थी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने कोचर और उनके व्यापारिक संस्थानों के खिलाफ वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को 1,875 करोड़ रुपए के ऋण की अवैध मंजूरी के लिए धनशोधन के आरोप लगाए हैं।

 

 

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