नई दिल्ली: माल एवं सेवाकर (जीएसटी) राजस्व में होने वाली कमी को पूरा करने के लिए राज्यों की तरफ से केन्द्र सरकार खुद 1.1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज उठाएगी। केन्द्र और कुछ राज्यों के बीच विवाद का विषय बने जीएसटी क्षतिपूर्ति के मुद्दे को सुलझाने की दिशा में यह अहम कदम माना जा रहा है। 1.1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज राज्यों पर कैसे प्रभाव डालेगा, इसको वित्त मंत्री ने पत्र लिखकर समझाया है। वित्त मंत्री ने लिखा, "मैं वित्तीय कठिनाइयों से अच्छी तरह वाकिफ हूं जो राज्यों को झेलनी पड़ रही है।"वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों को आश्वासन दिया है कि ब्याज दर बहुत ही उचित होगी।
राज्यों को उपलब्ध संसाधनों की मात्रा मुआवजे की पूरी राशि को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी जो इस वर्ष देय होगी।
ब्याज दर बहुत ही उचित होगी।
उपकर की भावी आय से ब्याज और मूलधन की पूर्ति की जाएगी।
क्षतिपूर्ति का पूरा बकाया अंतत: राज्यों को भुगतान किया जाएगा।
उधार की व्यवस्था सीधे केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी और राज्यों को बैक-टू-बैक पारित की जाएगी।
बता दें केंद्र और विपक्ष शासित राज्यों में जीएसटी परिषद की बैठक में गतिरोध था, क्योंकि इस बात पर कोई सहमति नहीं थी कि कौन उधार लेगा। इससे पहले, केंद्र ने राज्यों के सामने दो उधार विकल्प दिए थे। विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य भी सुप्रीम कोर्ट जाने की योजना बना रहे थे, लेकिन गुरुवार को वित्त मंत्रालय ने अपना रुख नरम कर लिया और राज्यों की ओर से ऋण लेने पर सहमत हो गया।
उधार लेने की क्यों आई नौबत
कोविड-19 संकट के चलते अर्थव्यवस्था में नरमी से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह कम रहा है। इससे राज्यों का बजट गड़बड़ाया है। राज्यों ने वैट समेत अन्य स्थानीय कर एवं शुल्कों के एवज में जीएसटी को स्वीकार किया था। उन्होंने जुलाई 2017 में नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था इस शर्त पर स्वीकार की थी कि राजस्व संग्रह में अगले पांच साल तक किसी भी प्रकार की कमी होने पर उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी। इस कमी को पूरा करने के लिए बाजार से कर्ज लेने का विकल्प राज्यों को दिया गया था। लेकिन कुछ राज्य इससे सहमत नहीं थे। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि राज्यों को उनकी खर्च जरूरतों को पूरा करने के लिए उपलब्ध कराई गई मौजूदा कर्ज सीमा के अलावा 1.10 लाख करोड़ रुपये का ऋण लेने को लेकर विशेष व्यवस्था की पेशकश की गई थी।
कैसे होगा कर्ज का उपयोग
वित्र मंत्रालय के वक्तव्य में कहा गया है, ''विशेष व्यवस्था के तहत जीएसटी राजस्व संग्रह में अनुमानित 1.10 लाख करोड़ रुपये (यह मानते हुए कि सभी राज्य इसमें शामिल होंगे) की राजस्व क्षतिपूर्ति के लिए भारत सरकार उपयुक्त किस्तों में कर्ज लेगी। मंत्रालय ने कहा कि इस तरह जो कर्ज लिया जाएगा, उसे जीएसटी क्षतपूर्ति उपकर जारी करने के बदले में राज्यों को दिया जाता रहेगा। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत सरकार के कर्ज लेते समय बांड रिटर्न में एकरूपता और बांड नीलामी में अंतराल को सुनिश्चित किया जाएगा।
कौन देगा 1.10 लाख करोड़ रुपये
अधिकारी ने कहा कि मूल राशि और ब्याज का भुगतान क्षतिपूर्ति राशि कोष से किया जाएगा। वहीं 1.10 लाख करोड़ रुपये की राशि को तीन से चार साल की अवधि के बॉन्ड जारी करके जुटाया जाएगा। राज्यों के लिए केन्द्र द्वारा कर्ज लेने पर एक ही ब्याज दर को सुनिश्चित किया जा सकेगा और व्यवस्था में आसानी होगी। बयान में कहा गया है कि इस कर्ज से भारत सरकार के राजकोषीय घाटे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ''राशि को राज्य सरकारों की पूंजी प्राप्ति के तौर पर दिखाया जाएगा और यह उनके राजकोषीय घाटों के वित्त पोषण के रूप में होगी।
इसमें कहा गया है, ''इस कदम से सरकारों (राज्य एवं केंद्र) के कर्ज में बढ़ोतरी नहीं होगी। जिन राज्यों को कर्ज की इस विशेष व्यवस्था से लाभ होगा, वे राज्य संभवत: राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 2 प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज की सुविधा के तहत कम कर्ज उठायेंगे। आत्म निर्भर भारत पैकेज के तहत राज्यों की कर्ज लेने की सीमा उनके जीएसडीपी का 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत कर दी गई थी। इस प्रकार उन्हें जीएसडीपी का दो प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज लेने की सुविधा पहले ही उपलब्ध कराई गई है।
21 राज्यों ने कर्ज लेने के दो विकल्प में से पहले विकल्प का चयन किया है
जीएसटी लागू करते हुये, जुलाई 2017 में, राज्यों को नई कर व्यवस्था के क्रियान्वन के तहत अगले पांच साल तक उनके राजस्व में 14 प्रतिशत वृद्धि के आधार पर राजस्व मिलने का भरोसा दिया गया था। इसमें किसी प्रकार की कमी की भरपाई विलासिता और समाज के नजरिये से अहितकर वस्तुओं पर जीएसटी उपकर लगाकर पूरा करने का प्रस्ताव किया गया, लेकिन पिछले वित्त वर्ष से अर्थव्यवस्था में नरमी के कारण राजव संग्रह में कमी के चलते राज्यों की राजस्व क्षतिपूर्ति के लिए यह राशि कम पड़ रही है। इसकी भरपाई के लिए केंद्र ने राज्यों को बाजार से कर्ज लेने का प्रस्ताव किया था। यह कर्ज भविष्य में उपकर से होने वाली प्राप्ति के एवज में लिया जा सकता था। इससे पहले, वित्त मंत्रालय ने कहा था कि 21 राज्यों ने कर्ज लेने के दो विकल्प में से पहले विकल्प का चयन किया है। हालांकि, कांग्रेस और कुछ अन्य गैर-भाजपा शासित राज्य सरकारों ने कर्ज लेने का कोई भी विकल्प स्वीकार नहीं किया था।
जीएसटी उपकर से दिया जाएगा कर्ज राशि का ब्याज
कर्ज राशि पर सबसे पहले ब्याज जीएसटी उपकर से दिया जाएगा, जिसे पांच साल बाद भी जुटाया जाएगा। उसके बाद 1.10 लाख करोड़ रुपय की मूल राशि जो कर्ज ली गई उपकर का 50 प्रतिशत उसमें जायेगा और शेष 50 प्रतिशत कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित क्षतिपूर्ति में जाएगा। राज्यों के समक्ष रखे गये पहले विकल्प की शर्तों के तहत राजस्व में कमी को पूरा करने के लिए कर्ज की विशेष सुविधा के अलावा राज्य जीएसडीपी के तहत 2 प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज लेने की सुविधा के अंतर्गत अंतिम किस्त के रूप में 0.5 प्रतिशत ऋण बिना किसी शर्त के तहत ले सकते हैं। इस सप्ताह की शुरूआत में केंद्र ने पहले विकल्प का चयन करने वाले 21 राज्यों को खुले बाजार से इसी सुविधा के तहत 78,452 करोड़ रुपये अतिरिक्त कर्ज लेने की अनुमति दी थी। बयान के अनुसार 21 राज्यो को दी गई यह कर्ज मंजूरी 1.10 लाख करोड़ रुपये के ऋण प्रस्ताव के अतिरिक्त थी।
राजस्व की भरपाई के लिए केन्द्र सरकार ने अगस्त में राज्यों के समक्ष दो विकल्प रखे थे। या तो राज्य रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाले विशेष खिड़की से 97,000 करोड़ रुपये (अब 1.1 लाख करोड़ रुपये) कर्ज लेकर भरपाई करें या फिर पूरी 2.35 लाख करोड़ रुपये की राशि को बाजार से उठाएं। केन्द्र ने राज्यों को इस अतिरिक्त कर्ज को चुकाने के लिए विलासिता और गैर- प्राथमिकता वाली अहितकर वस्तुओं पर लगने वाले जीएसटी उपकर को 2022 के बाद भी जारी रखने का प्रस्ताव किया है ताकि राज्य इससे प्राप्त राजस्व से अपने कर्ज का भुगतान कर सकें।