नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज लोन मोरेटोरियम की अवधि के दौरान स्थगित ईएमआई में ब्याज पर ब्याज में छूट को लेकर सुनवाई की। मामले में न्यायालय ने सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को एक हफ्ते की और मोहलत दी है। कोर्ट ने कहा कि ब्याज पर जो राहत देने की बात की गई है, उसके लिए केंद्रीय बैंक द्वारा किसी तरह का दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया। इसलिए न्यायालय ने कहा है कि एक हफ्ते के भीतर स्थिति स्पष्ट करने के लिए नया हलफनामा दायर किया जाए।
13 अक्तूबर को होगी अगली सुनवाई
कोर्ट ने कहा कि, 12 अक्तूबर तक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 13 अक्तूबर को होगी। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने याचिकाओं पर सुनवाई की। इससे पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक अक्तूबर तक हलफनामा दायर करने का समय दिया था और बैंकों से अभी एनपीए घोषित नहीं करने को कहा गया था।
क्रेडाई ने रखा पक्ष
सुनवाई के दौरान रियल इस्टेट की संस्था क्रेडाई ने कहा कि सरकार ने हलफनामे में आंकड़े दिए हैं, वो बिना किसी आधार के दिए हैं। तब कोर्ट ने कहा कि सरकार और केंद्रीय बैंक को इस पर आदेश पास करने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि मामला यह नहीं है कि कामथ कमिटी की रिपोर्ट रिकॉर्ड पर रखी जाए, बल्कि मामला इसे लागू करने का है।
क्रेडाई के अनुसार सरकार ने रियल एस्टेट क्षेत्र को कोई राहत नहीं दी है और किसी तरह की लोन पुनर्गठन सुविधा भी नहीं दी है। कंपनियों पूरे ब्याज का भुगतान कर रही हैं। हालांकि सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उपलब्ध संसाधनों के मुताबिक विभिन्न क्षेत्रों को राहत दी गई है।
आईबीए के वकील ने कही ये बात
वहीं इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि इस मामले में देरी हो रही है, जिसका नुकसान बैंकों को हो रहा है। आईबीए ने कहा कि सुनवाई ज्यादा से ज्यादा दो से तीन दिनों के लिए जवाब देने के लिए टाली जाए।
आरबीआई ने भी रखा अपना पक्ष
आरबीआई की ओर से वकील वी गिरी ने कहा कि लोगों को लग रहा है कि ब्याज पर ब्याज उन्हें बुरी तरह से प्रभावित करेगा। इसलिए इस संदर्भ में और सिफारिशें आनी चाहिए और विचार-विमर्श होना चाहिए। वहीं बैंकों का कहना है कि सरकार के पास दो तरफा अप्रोच है।