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नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि 500 और 1,000 रुपये के नोट वापस लेने से अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ेगा क्यों कि कारोबार काले बाजार से निकल कर वैध बाजार का हिस्सा बनेगा। इससे राजस्व आधार का विस्तार होगा और साख बेहतर होने के साथ साथ पूरी व्यवस्था साफ सुथरी होगी। बड़े नोटों को वापस लेने का फैसला करने के एक दिन बाद जेटली ने यहां संवाददताओं को संबोधित करते हुए कहा कि ईमानदार नागरिक इस बात को समझते हैं कि ईमानदार रहने का फायदा मिलता है और एक संतोष भी होता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को अचानक एक बड़ा फैसला लेते हुए 500 और 1,000 रुपये के नोट चलन से वापस लेने और 500 तथा 2,000 रुपये का नया नोट अतिरिक्त सुरक्षा मानकों के साथ पेश करने की घोषणा की। जेटली ने कहा, इस फैसले से देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आकार बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था साफ सुथरी होगी। इससे राजस्व आधार का विस्तार होगा और बैंकिंग तंत्र में अधिक धन आयेगा। उन्होंने स्वीकार किया कि इससे लोगों को थोड़े समय के लिए थोड़ी बहुत कठिनाई जरूर होगी लेकिन आने वाले समय में अर्थव्यवस्था को इसका काफी फायदा होगा।

जेटली ने कहा कि लोगों को आने वाली परेशानी को देखते हुए 11 नवंबर की मध्यरात्रि तक लोग मेट्रो टिकट, टोल प्लाजा, एलपीजी सिलेंडर, रेलवे कैटरिंग और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित इमारतों में इन पुराने नोटों को इस्तेमाल में ला सकेंगे। उन्होंने कहा कि मंगलवार को जिन रियायतों की घोषणा की गई है उनके अलावा आज ये कुछ और रियायतें दी गई हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि यह कदम देश से कालेधन की बुराई को समाप्त करने के राजग सरकार के प्रयासों का हिस्सा है। सरकार ने इससे पहले कालेधन को निकालने के लिए दो योजनायें पेश की थी। एक योजना विदेशों में रखे कालेधन का खुलासा करने के लिये लाई गई जबकि दूसरी देश के भीतर रखे कालेधन को मुख्यधारा में लाने का अवसर देने के लिये लाई गई।

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