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नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को भारत की सॉवरेन रेटिंग का उन्नयन न करने के लिए वैश्विक रेटिंग एजेंसियों को आड़े हाथ लिया। सरकार ने कहा कि इतने सुधार के बाद भी भारत की रेटिंग में सुधार न करने वाली एजेंसियों को आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर निवेशकों का मानना है कि भारत की रेटिंग को ‘कम’ या निचले स्तर पर रखा गया है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स द्वारा अगले दो साल के लिए भारत की रेटिंग में सुधार की संभावना से इनकार के बाद संवाददाताओं से बातचीत में आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकान्त दास ने कहा कि सरकार आर्थिक सुधार और नीतियों की राह पर आगे चलना जारी रखेगी। एसएंडपी ने भारत की रेटिंग को निचले निवेश ग्रेड बीबीबी- पर कायम रखा है। दास ने कहा, ‘यदि रेटिंग में सुधार नहीं होता है, तो यह ऐसा मामला है जो हमें अधिक परेशान नहीं करता है। यह ऐसा सवाल है जिसके जवाब में रेटिंग करने वालों को आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, ‘यह निवेशकों की सोच, या उनके मन में क्या है तथा रेटिंग एजेंसियों के निष्कर्ष में ‘अलगाव’ है। मुझे लगता है कि कहीं किसी तरह के जुड़ाव की कमी है।’ दास ने सरकार द्वारा पिछले दो बरस में उठाए गए कदमों का जिक्र किया। मसलन महंगाई पर नियंत्रण तथा बुनियादी सुधार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा दिवाला संहिता। यदि आप उन चीजों की तुलना करें जिनका उल्लेख रिपोर्ट में है, तो क्या कोई अन्य अर्थव्यवस्था है जो इसके बराबर है।

ऐसे में यदि सभी चीजों के साथ सुधार नहीं किया जाता है, तो ऐसे में यह रेटिंग एजेंसियों से खुद से सवाल करने का समय है। उन्हें आत्मविश्लेषण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार आर्थिक सुधारों के अलावा विभिन्न नीतिगत पहलों को आगे बढ़ाती रहेगी, रेटिंग एजेंसियों को अपना विचार तय करने का अधिकार है। दास ने कहा, ‘मैं किसी के तरीके पर सवाल नहीं उठा रहा हूं। यह विस्तृत रिपोर्ट है जिसे हमें देखेंगे। वे स्वतंत्र रेटिंग एजेंसियां हैं। हम उनकी टिप्पणी का सम्मान करते हैं। विशेषरूप से हम सभी रेटिंग एजेंसियों की टिप्पणियों तथा निष्कर्षों को अत्यधिक महत्व देते हैं।’

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