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न्यूयॉर्क: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा (यूएनजीए) को संबोधित किया। खालिस्तानी मुद्दे को लेकर भारत-कनाडा के बीच जारी सियासी गतिरोध के बीच विदेशमंत्री ने यूएन के मंच से कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो को वाजिब जवाब दिया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक सुविधा आतंकवाद या उग्रवाद के प्रति किसी देश की प्रतिक्रिया का आधार नहीं हो सकती।

विदेश मंत्री ने कहा, "सियासी सहूलियत के हिसाब से आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर एक्शन नहीं लेना चाहिए। अपनी सहूलियत के हिसाब से क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं हो सकता।"

उन्होंने कहा, "विश्व उथल-पुथल का असाधारण दौर देख रहा है। भारत के वन अर्थ वन फैमिली वन फ्यूचर विजन में केवल कुछ लोगों के छोटे फायदे नहीं, बल्कि अनेक लोगों की चिंताए शामिल हैं।" जयशंकर ने यूएसएससी में बदलावों की भारत की मांग को दुनिया के सामने दोहराया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "वे दिन खत्म हो गए जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और उम्मीद करते थे कि दूसरे भी उनके साथ आ जाएंगे।"

उन्होंने कहा कि गुटनिरपेक्षता के युग से, अब हम विश्व मित्र के युग में पहुंच गए हैं। जब हम लीडिंग पावर बनने की आकांक्षा रखते हैं, यह आत्म-प्रशंसा के लिए नहीं बल्कि बड़ी जिम्मेदारी लेने, योगदान देने के लिए है।

जयशंकर ने कहा, "गुट निरपेक्ष के युग से निकलकर अब हमने ‘विश्व मित्र' की अवधारणा विकसित की है। जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल किये जाने से संयुक्त राष्ट्र को भी सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने की प्रेरणा मिलनी चाहिए।"

उन्होंने कहा कि दुनिया चुनौतिपूर्ण वक्त से गुजर रही है। समय बदल रहा है, अब दूसरे देशों की बात सुननी होगी। जयशंकर ने कहा, "चंद देशों का एजेंडा दुनिया पर नहीं थोपा जा सकता है।"
उन्होंने कहा, "भारत 'अमृत काल' में प्रवेश कर चुका है... जब हमारा चंद्रयान-3 चंद्रमा पर उतरा, तो दुनिया ने आने वाले समय की झलक देखी। आज दुनिया के लिए हमारा मैसेज डिजिटल रूप से सक्षम शासन, बढ़ते बुनियादी ढांचे और हमारी ऊर्जावान स्टार्ट-अप संरचना में है।"

जयशंकर ने कहा, "हमारा नवीनतम दावा विधायिकाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए अग्रणी कानून है। मैं एक ऐसे समाज के लिए बोलता हूं, जहां लोकतंत्र की प्राचीन परंपराओं ने गहरी आधुनिक जड़ें हैं। परिणामस्वरूप, हमारी सोच, दृष्टिकोण और कार्य अधिक जमीनी और प्रामाणिक हैं।"

विदेश मंत्री में एस. जयशंकर ने कहा, "हमने 75 देशों के साथ विकासात्मक साझेदारी बनाई है। आपदा और आपातकालीन स्थिति में भी हम पहले उत्तरदाता बने हैं। तुर्की और सीरिया के लोगों ने यह देखा है।"

यूएनजीए में विदेश मंत्री में एस. जयशंकर ने कहा, "ऐसे समय में जब पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण इतना तीव्र है और उत्तर-दक्षिण विभाजन इतना गहरा है, नई दिल्ली शिखर सम्मेलन भी इस बात की पुष्टि करता है कि कूटनीति और संवाद ही एकमात्र प्रभावी समाधान हैं... वे दिन ख़त्म हो गए हैं जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और दूसरों से उसके अनुरूप चलने की उम्मीद करते थे।"

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