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नई दिल्ली: बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) के सीनेटर अनवरुल हक ककर पाकिस्तान के केयर टेकर प्रधानमंत्री होंगे। पाकिस्तान के मीडिया के अनुसार विपक्ष और सरकार में ककर के नाम पर सहमति बन गई है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने केयर टेकर पीएम के लिए ककर के नाम की सिफारिश पर मंजूरी दे दी है।

अनवरुल हक काकर पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री चुने गए हैं। अनवरुल हक काकर बलूचिस्तान अवामी पार्टी के नेता हैं। वे 2018 में 6 साल के लिए सीनेट में चुन कर आए थे।

बलूचिस्तान अवामी पार्टी उन 12 पार्टियों में शामिल रही है जो पीडीएम यानी कि पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट गठबंधन के तले शहबाज़ शरीफ़ सरकार को समर्थन दे रही थीं।

विपक्ष के नेता राजा रियाज़ का दावा है कि काकर का नाम उनकी तरफ़ से आया था, जिसे सत्ताधारी गठबंधन के नेता शहबाज़ शरीफ़ ने स्वीकार कर लिया। सत्ताधारी गठबंधन और विपक्ष की तरफ से तीन-तीन नाम आए थे, जिनमें से काकर के नाम पर सहमति बनी।

राजा रियाज़ का कहना है बलूचिस्तान जैसे छोटे सूबे से केयरटेकर पीएम बनाने के उनके सुझाव को माना गया ताकि इस सूबे की समस्याओं को दूर करने में मदद मिलेगी।

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी ने अनवरुल हक काकर के नाम को मंज़ूरी दे दी है। काकर जल्द ही पाकिस्तान के आठवें कार्यवाहक पीएम के तौर पर शपथ लेंगे।

काकर 2008 में पीएमएल क्यू के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे। वे 2018 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सीनेट में चुनकर आए। साल 2018 में ही उन्होंने बलूचिस्तान अवामी पार्टी बनाई। वे पख़्तून हैं और काकर जनजाति से आते हैं। वे बलूचिस्तान के बड़े नेता माने जाते हैं।

वे सीनेट की ओवरसीज़ पाकिस्तानी और मानव संसाधन विकास मामलों के स्थाई समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं। वे वित्त, राजस्व, विदेशी मामलों और विज्ञान-तकनीकि की बिजनेस एजवाइज़री कमेटी के सदस्य के तौर पर काम कर चुके हैं।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज़ और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी, दोनों के साथ उनके अच्छे रिश्ते रहे हैं। यही वजह है कि विपक्ष और सत्ताधारी गठबंधन दोनों ने उनके नाम पर सहमति जता दी।

शहबाज़ शरीफ़ ने मौजूदा नेशनल असेंबली का कार्यकाल पूरा होने से तीन दिन पहले इसको भंग कर दिया था। इसके बाद पाकिस्तान की कार्यवाहक सरकार पर 90 दिन के भीतर चुनाव कराकर नई चुनी गई सरकार को सत्ता हस्तांतरित करना है।

कार्यवाहक सरकार कोई नीतिगत फ़ैसला नहीं ले सकती, सिर्फ़ रुटीन के सरकारी काम और जनसरोकार से जुड़े कुछ फ़ैसले ले सकती है।

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