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पेरिस: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। पेरिस के एलीसी पैलेस में राष्ट्रपति मैक्रॉन ने पीएम मोदी का स्वागत किया। वार्ता के बाद दोनों शीर्ष नेताओं ने संयुक्त प्रेस बयान जारी किया। पीएम मोदी ने कहा कि फ्रांस के लोगों को राष्ट्रीय दिवस के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। यह दिवस विश्व में स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे जैसे मूल्यों का प्रतीक माना जाता है, यह मूल्य दोनों देशों के संबंधों का महत्वपूर्ण आधार है। मुझे खुशी है कि इस अवसर की गरिमा बढ़ाने के लिए भारत की तीनों सेनाओं की टुकड़ियों ने भाग लिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम अपनी रणनीतिक साझेदारी के 25 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। हम पिछले 25 वर्षों की मजबूत नींव के आधार पर अगले 25 वर्षों का रोडमैप बना रहे हैं। इसके लिए साहसिक एवं महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए जा रहे हैं। भारत के लोगों ने स्वयं को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है। इस यात्रा में हम फ्रांस को एक स्वाभाविक भागीदार के रूप में देखते हैं।

पीएम ने कहा कि रक्षा सहयोग हमारे संबंधों का एक मूलभूत स्तंभ रहा है। यह दोनों देशों के बीच गहरे आपसी विश्वास का प्रतीक है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत में फ्रांस एक अहम साथी है। सबमरिन हो या नौसेना के जहाज हम चाहते हैं कि मिलकर सिर्फ अपने ही नहीं तीसरे मित्र देशों के सहयोग के लिए भी हम काम करें।

उन्होंने कहा कि आज भारत में चंद्रयान के सफल लॉन्च पर पूरा भारत उत्साहित है। यह हमारे वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत और फ्रांस का पुराना और गहरा सहयोग है। हमारे स्पेस एजेंसियों के बीच नए समझौते हुए हैं। पीएम ने कहा कि हम मार्सिले शहर में एक नया भारतीय वाणिज्य दूतावास खोलेंगे। हम फ्रांस में पढ़ रहे भारतीय मूल के लोगों को दीर्घकालिक वीजा देने के फैसले का स्वागत करते हैं। मैं फ्रांसीसी विश्वविद्यालयों को भारत में अपने परिसर स्थापित करने के लिए आमंत्रित करता हूं।

वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने कहा कि मुझे यहां आज बैस्टिल डे परेड में पंजाब रेजिमेंट को देखकर बहुत गर्व महसूस हुआ। हम एक ऐतिहासिक विश्वास के आधार पर आगे बढ़ रहे हैं और हम मिलकर वैश्विक संकटों का समाधान ढूंढ सकते हैं।

राष्ट्रपति मैक्रॉन ने कहा कि 2030 तक हम 30,000 फ्रांसीसी छात्रों को भारत भेजेंगे और हम चाहते हैं कि जो भारतीय युवा फ्रांस में पढ़ने के लिए निर्णय लेते हैं तो उनको हम मौका देंगे इसलिए हम वीजा नीति को उसके अनुकूल बनाएंगे।

उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के खंडन से दुनिया को बचाए और इसलिए हमने पेरिस एजेंडा और नया वित्तीय वैश्विक कॉम्पैक्ट पर इकट्ठा काम किया है। हम सब चाहते हैं कि एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की स्थापना हो, जो शांति और विकास की ओर ले जाए।

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