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बीजिंग: शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत और पाकिस्तान के शामिल होने की उम्मीद के बीच चीन ने बुधवार को कहा कि इस समूह में प्रवेश पाना दक्षिण एशिया के इन दोनों देशों के लिए एक बड़ा कदम होगा। साथ ही, यह क्षेत्र की समृद्धि और स्थिरता में योगदान देगा। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि आधिकारिक एससीओ सदस्यता हासिल करना भारत और पाकिस्तान के लिए एक बड़ा कदम होगा। उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में कल होने वाले एससीओ सम्मेलन से पहले उन्होंने कहा, ‘चीन एससीओ में भारत और पाकिस्तान के शामिल होने का समर्थन करता है और आशा करता है कि नये सदस्यों का प्रवेश एससीओ के विकास तथा क्षेत्रीय समृद्धि एवं स्थिरता में योगदान देगा।’ ताशकंद पहुंच चुके चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि यह सम्मेलन समूह के लिए एक नयी शुरूआत करेगा। शी ने कहा कि चीन 16 वें एससीओ सम्मेलन को सदस्यों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए एक नए आरंभ बिंदु के तौर पर देखता है। गौरतलब है कि इस छह सदस्यीय समूह का गठन 2001 में हुआ था। हालांकि इस बारे में आशावादिता और संशय की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं हैं कि भारत, पाकिस्तान की प्रतिद्वंद्विता के मद्देनजर उनके समूह में शामिल होने से क्या असर पड़ेगा। एससीओ मध्य एशिया में आतंकवाद जैसे मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देता है। समूह में चीन, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान पूर्ण सदस्य हैं।

वहीं, अफगानिस्तान, बेलारूस, भारत, ईरान, मंगोलिया और पाकिस्तान को पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है। पिछले साल उफा सम्मेलन में औपचारिक रूप से एक प्रस्ताव स्वीकार किया गया था जो एससीओ में भारत और पाकिस्तान को शामिल करने की प्रक्रिया को आरंभ करता है। बहरहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि भारत और पाक को समूह में शामिल किए जाने की प्रक्रिया कब पूरी होगी। हालांकि, उज्बेकिस्तान के उप विदेश मंत्री अनवर नसीरोव के हवाले से चीनी सरकारी मीडिया ने इससे पहले बताया था कि एससीओ सदस्य देश का दर्जा हासिल करने के लिए भारत और पाकिस्तान ताशकंद सम्मेलन में एक ‘मेमोरेंडम ऑफ ऑब्लीगेशन’ पर हस्ताक्षर करेंगे। उन्होंने कहा कि समूह में पूर्ण सदस्य के तौर पर शामिल होने के लिए यह एक अहम कदम है।

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