सोल: उत्तर कोरिया ने एक नयी, शक्तिशाली और मध्यम दूरी की मिसाइल के आज कुछ ही देर के अंतराल में दो परीक्षण किए। दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इन दोनों परीक्षणों में से कम से कम एक परीक्षण नाकाम रहा। मंत्रालय के अनुसार, पहला परीक्षण स्थानीय समयानुसार सुबह छह बजे से कुछ पहले (अंतरराष्ट्रीय समयानुसार रात 9 बजे से कुछ पहले) किया गया लेकिन प्रतीत होता है कि यह परीक्षण असफल रहा। करीब दो घंटे बाद दूसरा परीक्षण पूर्वी तट पर उसी स्थान से किया गया जहां से पहला परीक्षण किया गया था। मंत्रालय ने कहा कि वह पुष्टि नहीं कर सकता कि दूसरा परीक्षण सफल रहा या नहीं। समझा जाता है कि दोनों ही परीक्षण बहुचर्चित, मध्यम दूरी की मसदान मिसाइल के थे। यह मिसाइल अमेरिकी ठिकानों और गुआम तक को निशाना बनाने में सक्षम है। इससे पहले उत्तर कोरिया द्वारा इस साल किए गए मसदान मिसाइल के चार परीक्षण असफल रहे थे। यह उसके शस्त्र कार्यक्रम के लिए बड़ा झटका था। उत्तर कोरिया अमेरिका के खिलाफ परमाणु हमले की क्षमता विकसित करना चाहता है। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव में उत्तर कोरिया पर बैलिस्टिक मिसाइल प्रौद्योगिकी का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है।
आज के परीक्षण से कुछ घंटे पहले ही पेंटागन ने प्योंगयांग को किसी भी मिसाइल के परीक्षण पर आगे बढ़ने को लेकर चेताया था। दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस तरह का परीक्षण संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। जापान के प्रधानमंत्री शिन्जो आबे ने कहा कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अमेरिका ने उत्तर कोरिया द्वारा बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किए जाने की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि यह कदम खतरा पैदा करने वाला और उकसाने वाला है। मसदान मिसाइल 2,500 किमी से लेकर 4,000 किमी तक की रेंज को निशाना बनाने में सक्षम है। इसकी कम दूरी के दायरे में पूरा दक्षिण कोरिया और जापान आते हैं जबकि अधिक दूरी के दायरे में गुआम स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकाने तक आएंगे। जनवरी में प्योंगयांग ने अपना चौथा परमाणु परीक्षण और एक माह बाद लंबी दूरी के राकेट का प्रक्षेपण किया था जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे। मई में पार्टी कांग्रेस की बैठक में उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने दक्षिण कोरिया के साथ सैन्य वार्ता की पेशकश की थी। यह पेशकश बाद में कई बार दोहराई गई लेकिन सोल ने उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस में किम द्वारा व्यक्त संकल्प के मद्देनजर इसे अस्वीकार कर दिया था।