काबुल: अफगानिस्तान में सोमवार को हुए कई बम धमाकों में दो भारतीय नागरिकों सहित 25 लोगों की मौत हो गई। हमले में नेपाली सुरक्षाकर्मी भी मारे गए हैं। ये हमले ऐसे समय में हुए हैं, जब कुछ ही दिन पहले अमेरिका ने तालिबान पर हमला करने के अमेरिकी सेना के अधिकार को विस्तार दिया था। आईएसआईएस और तालिबान ने हमलों की जिम्मेदारी ली है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि हमें पता चला है कि काबुल में आज सुबह हुए विस्फोट में देहरादून के रहने वाले गनेश थापा और गोविंद सिंह मारे गए हैं। तालिबान के प्रवक्ता ने काबुल में हुए उस पहले हमले की ट्विटर के जरिए जिम्मेदारी ली जिसमें कनाडा के दूतावास में सुरक्षा गार्ड के तौर पर काम कर रहे 14 नेपाली मारे गए। इस हमले में एक पीली मिनी बस को निशाना बनाकर धमाका किया गया। हालांकि ‘साइट’ निगरानी समूह के अनुसार अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान में इस्लामिक स्टेट से संबद्ध समूह ने भी हमलों की जिम्मेदारी ली है। उसने कथित हमलावर का नाम बताया है और उसकी तस्वीर जारी की है। अफगानिस्तान में एक खुफिया सूत्र ने बताया कि अधिकारी आईएस के दावे की जांच कर रहे हैं। आईएस के दावों को तालिबान ने पूरी तरह से खारिज किया है। तालिबान ने दक्षिण काबुल में हुए दूसरे, हल्के विस्फोट की भी जिम्मेदारी ली है।
गृह मंत्रालय ने बताया कि इस हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई। काबुल में इन दो धमाकों के बाद अफगानिस्तान के बदख्शान प्रांत के एक बाजार में विस्फोट हुआ। अधिकारियों ने बताया कि इस विस्फोट में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई। मृतक संख्या बढ़ने की आशंका है। हिंसा की इस लहर से 10 दिन पहले ही अमेरिका ने तालिबान के खिलाफ हवाई हमले करने के अमेरिकी सेना के अधिकार को विस्तार देने की घोषणा की थी जिससे अफगानिस्तानी बलों को काफी मजबूती मिली थी। अफगानिस्तानी बलों के पास सीमित हवाई क्षमताएं हैं। पुलिस ने बताया कि काबुल से जलालाबाद शहर की ओर जाने वाले मुख्यमार्ग पर नेपाली सुरक्षा कर्मियों पर सुबह हुआ हमला आत्मघाती हमलावर ने किया था जो पैदल आया था। गृह मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि 14 नेपाली नागरिक मारे गए और नौ अन्य लोग घायल हो गए जिनमें पांच नेपाली नागरिक एवं चार अफगानिस्तान के नागरिक हैं। अफगानिस्तान में कनाडाई दूतावास ने इस ‘कायरतापूर्ण’ हमले की एक ट्विटर के जरिए पुष्टि की और कहा कि उसने सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया था। विस्फोट की आवाज पूरे काबुल में सुनी जा सकती थी। जलालाबाद मार्ग पर विस्फोट वाले स्थान से धुंए का गुबार उठते देखा गया। इस मुख्य मार्ग पर कई विदेशी परिसर और सैन्य प्रतिष्ठान हैं। एएफपी के एक पत्रकार ने कहा कि दो दर्जन से ज्यादा एंबुलेंस मौके पर पहुंच गई थीं और पुलिस ने सड़क को अवरूद्ध कर दिया था। विस्फोट स्थल के पास की दुकानों को भी नुकसान पहुंचा था। खिड़कियों के शीशे चटक गए थे। नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी शर्मा ओली ने कहा कि उनका देश इन हत्याओं की ‘कड़ी निंदा’ करता है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहउल्ला मुजाहिद ने सोशल मीडिया पर इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह हमला अफगानिस्तान पर ‘आक्रमण करने वाले बलों के खिलाफ’ है। साइट ने बताया कि इस्लामिक स्टेट ने ट्विटर और टेलीग्राम के माध्यम से जिम्मेदारी ली है। उसने हमलावर का नाम इरफानुल्लाह अहमद बताया है और उसकी तस्वीर जारी की है जिसमें वह हथियारों से लैस एवं लड़ाकू वर्दी पहने हुए हैं और आईएस के झंडे के सामने खड़ा है।