काजीरंगा: इस मानसून में आई दूसरे दौर की बाढ़ ने असम में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। 481 वर्ग किलोमीटर में फैले काजीरंगा नेशनल पार्क का लगभग 80 फीसदी हिस्सा जलमग्न हो चुका है। बाढ़ से अब तक सात गैंडों समेत 140 जानवरों की मौत हो चुकी है। काजीरंगा नेशनल पार्क की डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर रोहिणी बल्लाब सैकिया ने बताया कि 10 अगस्त तक सात गैंडे, 122 हिरण, दो हाथी की मौत हुई। तीन सांबर हिरण, तीन जंगली सुअर, दो हॉग हिरण, एक भैंस और एक साही भी मारे गए हैं। अब भी हर रोज जानवरों के शव मिल रहे हैं। सात में से छह गैंडों की मौत डूबने से हुई है। जबकि एक की मौत प्राकृतिक हुई है। सैकिया के मुताबिक यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल काजीरंगा पार्क में 10 अगस्त को डिफ्लू नदी के जरिए ब्रह्मपुत्र नदी का पानी घुस गया था, जिससे यह तबाही मची। पार्क के गॉर्ड, एनजीओ कार्यकर्ता और वन विभाग के कर्मचारी पेट्रोलिंग करके पार्क में फंसे जानवरों को बचा रहे हैं। पानी भरने के कारण खाने की खोज में जानवर पार्क के दोनों ओर मौजूद राष्ट्रीय राजमार्ग 37 पर और चाय के बागानों में पहुंच रहे हैं।
इन जानवरों को वाहनों की टक्कर से बचाने के लिए वन विभाग ने हाईवे पर होर्डिंग, पोस्टर और बैनर लगाकर वाहनों की रफ्तार कम कर दी है। पूर्वोत्तर में बाढ़ से 58 जिलों को प्रभावित किया है। यहां अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। बाढ़ ने ग्रामीण इलाकों में तबाही मचाई हुई है। यह 1988 के बाद की सबसे भयावह स्थिति है। बाढ़ से प्रभावित इलाकों में संचार व्यवस्था ठप हो गई है। पूर्वोत्तर फ्रंटियर रेलवे ने 20 अगस्त तक इन इलाकों में सभी ट्रेनों के आवागमन को स्थगित कर दिया है। हालांकि ब्रह्मपुत्र के जल स्तर में पिछले 12 घंटों के दौरान कुछ कमी आई है। काजीरंगा डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर सैकिया ने पिछले महीने 15 जुलाई को कहा था कि बाढ़ की हालात में कुछ सुधार हुआ है। उस वक्त पार्क क्षेत्र में 50 फीसदी जल स्तर नीचे पहुंच चुका था, जिस वजह से मरे जानवरों के शव सामने आ रहे थे।