ताज़ा खबरें
ज्वलंत मुद्दों पर जवाब नहीं देकर पीएम मोदी ने चुनावी भाषण दिया: विपक्ष
विकसित भारत का सपना कोई सरकारी सपना नहीं है : पीएम मोदी

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज (गुरूवार) उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि उसने कैराना में हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए। कैराना में स्थानीय ताकतवर लोगों द्वारा वसूली की धमकियों और हिंसक हमलों के बाद कथित पलायन से राजनीतिक भूचाल आ गया था। मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार से दो हफ्ते में अपना जवाब देने और अदालत को सैकड़ों हिन्दुओं के ठहरने के स्थान के बारे में बताने को कहा। ये लोग पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले के इस कस्बे से कथित रूप से पलायन कर गये हैं। यह आदेश एक सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश खुराना द्वारा दायर जनहित याचिका पर आया जिन्होंने केन्द्रीय गृह मंत्रालय को कैराना में अल्पसंख्यक हिन्दुओं की दुर्दशा पर संज्ञान लेने का निर्देश देने तथा उन पर हुए अत्याचार की सीबीआई से जांच कराने का अनुरोध किया। इसकी ‘‘राजनीतिक दबाव में’’ राज्य पुलिस द्वारा कथित रूप से जांच नहीं की जा रही है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक ने इस संबंध में तलब किये जाने के बावजूद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सामने पेश होने से इंकार कर दिया।

पिछले वर्ष कैराना से हिन्दुओं के कथित पलायन का मुद्दा उस समय सुखिर्यों में आया था जब स्थानीय भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने वसूली की धमकियों और हिंसक हमलों के बाद कथित रूप से पलायन करने वाले 300 से अधिक हिन्दू परिवारों की सूची जारी की थी।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख