बेंगलुरू: मप्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात के बाद अब कर्नाटक में भी जबरन या लालच देकर धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून बना दिया है। गुरुवार को राज्य विधानसभा ने धार्मिक स्वतंत्रता संरक्षण विधेयक-2021 पारित कर दिया। कर्नाटक के बेलगावी में चल रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार को राज्य के गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र ने धर्मांतरण विरोधी विधेयक पेश किया था। विधानसभा के स्पीकर ने घोषणा की कि उन्होंने सरकार को प्रक्रिया के अनुसार धर्मांतरण विरोधी विधेयक को पेश करने की अनुमति दी है और इस पर बुधवार को चर्चा की जाएगी। चर्चा के बाद गुरुवार को इसे पारित कर दिया गया।
कांग्रेस नेता शिवकुमार ने फाड़ दी थी प्रति
कांग्रेस ने धर्मांतरण रोधी इस विधेयक का विरोध किया और सदन से वॉकआउट किया था। डीके शिवकुमार ने सदन के अंदर विधेयक की प्रति भी फाड़ दी थी। इसके बाद शिवकुमार ने कहा था कि मैंने बिल फाड़ा क्योंकि यह संविधान के खिलाफ है। हम इसे पेश किए जाने से पहले ही रोकना चाहते थे।
सामूहिक धर्मांतरण कराने वालों को तीन से 10 साल तक की सजा
धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा करने के लिए लाए गए इस विधेयक के तहत जबर्दस्ती, धोखेबाजी से, लालच देकर या जबरन विवाह के माध्यम से धर्म परिवर्तन रोकने के प्रावधान किए गए हैं।
धर्मांतरण विरोधी विधेयक में सामूहिक धर्मांतरण कराने वालों को तीन से 10 साल तक की सजा और 1 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त अनुसूचित जाति (एससी) का व्यक्ति, जो अल्पसंख्यक धार्मिक समूह में शामिल हो जाता है, उसे आरक्षण सहित सरकारी लाभ खो सकता है।