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अहमदाबाद: गुजरात में भाजपा नया सीएम बनाने के बाद अब शायद पूरी सरकार को ही नया करने की तैयारी में है। खबरें हैं कि पार्टी ने 90 फीसदी के करीब मंत्रियों को बदलने की तैयारी कर ली है। इसके चलते तमाम दिग्गज नेता नाराज बताए जा रहे हैं और आपसी सहमति न बन पाने की वजह से शपथ ग्रहण समारोह को ही टाल दिया गया है। अब भूपेंद्र पटेल के मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह गुरुवार को दोपहर को 1:30 बजे होगा, जो आज ही दोपहर दो बजे होने वाला था।

आज नाराज नेता पूर्व सीएम विजय रूपाणी के घर पहुंचे और नई सरकार में मंत्री न बनाए जाने को लेकर विरोध दर्ज कराया। फिलहाल पार्टी में मंथन जारी है और इस बीच समय लेते हुए शपथ समारोह को ही टाल दिया गया है।

गुजरात भाजपा के प्रवक्ता ने सुबह ही एलान कर दिया था कि आज दोपहर 2 बजे मंत्रियों का शपथ समारोह होगा। यहां तक कि राजभवन में भी 15 सितंबर को शपथ समारोह के पोस्टर लग गए थे, जिन्हें दोपहर होने तक हटा लिया गया है। राज्यपाल के दफ्तर ने भी शपथ समारोह टाले जाने की पुष्टि की है।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत के ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी मनीष भारद्वाज ने कहा, 'मंत्रियों का शपथ समारोह गुरुवार को दोपहर 1:30 बजे होगा।' इससे पहले सुबह पार्टी प्रवक्ता यामल व्यास ने कहा था कि गांधीनगर में दोपहर 2 बजे मंत्रियों का शपथ समारोह होगा। कार्यक्रम को टालने को लेकर न तो भाजपा और न ही सरकार की ओर से कोई वजह बताई गई है, लेकिन साफतौर पर फेरबदल से पैदा हुई नाराजगी को थामने को इसकी वजह बताया जा रहा है।

मंत्रियों के नामों के लेकर मैराथन बैठकों का दौर

गुजरात भाजपा के प्रभारी भूपेंद्र यादव बीते दो दिनों से गांधी नगर में डटे हैं और नए मंत्रियों के नाम फाइल करने के लिए मैराथन बैठकें कर रहे हैं। चर्चा है कि भूपेंद्र पटेल बड़ी संख्या में पुराने मंत्रियों को हटाना चाहते हैं और नए चेहरों को एंट्री मिल सकती है। शनिवार को विजय रूपाणी के इस्तीफे के बाद भूपेंद्र पटेल ने सोमवार को अकेले ही सीएम पद की शपथ ली थी। उनके साथ किसी मंत्री को शपथ नहीं दिलाई गई थी। इसी से साफ था कि मंत्रियों के नाम पर अभी मंथन चल रहा है और किसी बड़े बदलाव को अमलीजामा पहनाया जा सकता है।

नितिन पटेल समेत कई दिग्गज मंत्रियों के भविष्य पर लग रहे कयास

राज्य में डिप्टी सीएम नितिन पटेल समेत कई दिग्गज मंत्रियों के भविष्य को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि पार्टी की ओर से एंटी-इन्कम्बैंसी फैक्टर से बचने के लिए 90 फीसदी तक मंत्रियों को हटाने की तैयारी है। इसके चलते असंतोष पैदा हो गया है और नेता विरोध जता रहे हैं। मान-मनौव्वल करने और रणनीति के लिए वक्त जुटाने के मकसद से अब शपथ समारोह को ही टाल दिया गया है। भाजपा नेतृत्व ने विजय रूपाणी से इस्तीफा लेने के बाद भूपेंद्र पटेल को सीएम चुना है, जो पहली बार के विधायक हैं। इस फैसले को चौंकाने वाला माना जा रहा है क्योंकि भूपेंद्र पटेल का रेस में कहीं भी जिक्र नहीं किया जा रहा था। उनके स्थान पर नितिन पटेल, सीआर पाटिल और मनसुख मांडविया जैसे दिग्गज नेताओं के नामों की चर्चा थी।

भाजपा ने क्यों भूपेंद्र पटेल को चुना है सीएम

हालांकि केंद्रीय नेतृत्व ने भूपेंद्र पटेल का नाम चुना। कहा जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने पटेल समुदाय को साधने के लिए भूपेंद्र पटेल को चुना है। जानकारों के मुताबिक एंटी इन्कम्बैंसी की पूरी तरह से काट करने के लिए पार्टी ने एकदम नए चेहरे पर सीएम के तौर पर दांव लगाया है। पीएम मोदी के गृह राज्य में अगले साल चुनाव होने वाले हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को यहां 99 सीटें ही मिली थीं, जो दो दशकों का सबसे कम आंकड़ा था। उसके बाद से ही पार्टी चिंतित थी और अब जाकर आमूलचूल बदलाव करने का काम किया है।

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