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अहमदाबाद: गुजरात के सूरत जिले में स्थित काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र की 220 मेगावाट वाली दो इकाइयों में से एक को भारी जल के रिसाव के बाद शुक्रवार को बंद कर दिया गया और अस्थायी आपात स्थिति घोषित कर दी गई लेकिन किसी भी रेडियो सक्रिय पदार्थ की लीकेज नहीं हुई है और सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं। अधिकारियों के अनुसार भारी जल के रिसाव का पता सुबह नौ बजे चला और इस समस्या को कुछ ही समय बाद दुरस्त कर दिया गया और उसके तुरंत बाद अस्थायी आपातकाल को हटा लिया गया। भारी जल का इस्तेमाल परमाणु रिएक्टर के कोर को ठंडा करने में किया जाता है। सूरत के जिलाधिकारी राजेंद्र कुमार ने कहा कि संयंत्र में विकिरण का कोई लीकेज नहीं हुआ है और हालात नियंत्रण में है। यह घटना उस दिन हुई है जब जापान भीषण सुनामी के कारण हुए फुकुशिमा परमाणु हादसे की पांचवीं बरसी मना रहा है। केएपीएस के निदेशक एल के जैन ने एक वक्तव्य में कहा कि संयंत्र के भीतर और बाहर विकिरण का स्तर सामान्य है।

वक्तव्य में कहा गया, ‘केएपीएस की पहली इकाई को आज सुबह नौ बजे के करीब बंद कर दिया गया। प्राइमरी हीट ट्रांसपोर्ट (पीएचटी) प्रणाली में मामूली रिसाव के बाद रिएक्टर को बंद कर दिया गया। सारी सुरक्षा प्रणाली काम कर रही है।’ जैन ने कहा, ‘संयंत्र परिसर के भीतर और बाहर रेडियोसक्रियता, विकिरण स्तर सामान्य है। केएपीएस 1 और 2 में दाबीकृत भारी जल रिएक्टर की दो इकाइयां हैं। दोनों में से प्रत्येक रिएक्टर की क्षमता 220 मेगावाट है।’ केएपीएस सूरत और तापी जिलों की सीमा पर है। यह तापी के व्यारा शहर के निकट है। इसका संचालन भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) करती है।

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