हैदराबाद: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी ने शुक्रवार को कहा कि काफी समय से लंबित चुनाव सुधारों को लागू करने का समय आ गया है। साथ ही उन्होंने जर्मनी की चुनाव प्रणाली पर बहस कराने का सुझाव दिया जिसमें राजनीतिक दलों को आनुपातिक प्रतिनिधित्व दिया जाता है। कुरैशी ने कहा, मुझे उम्मीद है कि वे इस शासनकाल में चुनाव सुधारों पर ध्यान देंगे जो काफी समय करीब 15 से 20 साल से लंबित है। इन्हें लागू करने का समय आ गया है।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के चुनाव खर्च की सीमा तय होनी चाहिए और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक कॉलेजियम के माध्यम से की जानी चाहिए। कुरैशी ने फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट (एफपीटीपी) चुनाव प्रणाली पर बहस के लिए जोर दिया, जिसमें देश में सबसे ज्यादा वोट पाने वाले उम्मीदवार को जीत मिलती है। कुरैशी के अनुसार, यहां तक की ब्रिटेन, जहां से भारत ने यह मॉडल उधार लिया है, वह भी इस प्रणाली पर दोबारा विचार कर रहा है।
कुरैशी के अनुसार, जर्मनी का चुनाव मॉडल सबसे अच्छा है जहां जर्मन मतदाता दो वोट (एक अपने क्षेत्र के उम्मीदवार के लिए और एक राजनीतिक दल के लिए) देते हैं।