चंडीगढ़: कांग्रेस से बातचीत की खबरों के बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साफ किया कि अब इसका समय खत्म हो गया है। कांग्रेस से पर्दे के पीछे बातचीत की खबरें गलत हैं। पार्टी से अलग होने का फैसला काफी सोच-विचार के बाद लिया गया और यह अंतिम है। मैं सोनिया गांधी जी का उनके समर्थन के लिए आभारी हूं लेकिन अब कांग्रेस में नहीं रहूंगा। मैं जल्द ही अपनी पार्टी शुरू करूंगा और किसानों का मुद्दा सुलझने के बाद सीट बंटवारे के लिए भाजपा से बातचीत करूंगा। मैं पंजाब और उसके किसानों के हित में मजबूत सामूहिक ताकत बनाना चाहता हूं।
बुधवार को ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नई पार्टी के साथ अगले विधानसभा चुनाव में उतरने का एलान किया था। चुनाव आयोग की मंजूरी के बाद चुनाव चिन्ह के साथ नाम की घोषणा की जाएगी। सिद्धू पर निशाना साधते हुए कैप्टन ने कहा था कि सिद्धू जहां से भी लड़ेंगे, हम उनसे लड़ेंगे। समय आने पर हम सभी 117 सीटों पर लड़ेंगे।
पंजाब कांग्रेस में सब सही नहीं चल रहा है। कैप्टन को अनदेखा कर कांग्रेस हाईकमान ने नवजोत सिद्धू को आगे बढ़ाया था।
अब सिद्धू को अनदेखा करते हुए पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए रोडमैप तैयार करने की सारी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को सौंप दी गई है। इसमें चन्नी का उनकी कैबिनेट के मंत्री और प्रदेश के अन्य वरिष्ठ नेता भी सहयोग करेंगे। इस फैसले के साथ ही चन्नी ने कांग्रेस विधायकों से उनके हलकों की स्थिति जानने के लिए वन-टू-वन बैठकें करने का फैसला लिया है। इस फैसले के पीछे की वजह बताई जा रही है कि राहुल गांधी प्रदेश कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू की कारगुजारी से आहत हैं।
हाईकमान ने चन्नी को गुरुवार को दिल्ली बुलाया था और उनसे सूबे के ताजा हालातों पर चर्चा की थी। इस मीटिंग के बाद शुक्रवार को उन्हें फिर से दिल्ली तलब किया गया। उनके साथ पार्टी के प्रभारी हरीश चौधरी भी दिल्ली गए हैं। पार्टी के भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी को मिले फीडबैक में यह बताया गया कि नवजोत सिद्धू प्रदेश प्रधान का पद संभालने के बाद अब तक प्रदेश संगठन के गठन की चर्चा तो करते रहे हैं लेकिन उन्होंने इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।