चंडीगढ़: ऐसे समय जब अगले वर्ष पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस आलाकमान 'घर' ठीक करने में जुटा है, नवजोत सिंह सिद्धू के 'मिजाज' पार्टी के लिए लगातार परेशानी बढ़ाने का काम कर रहे हैं। पंजाब कांग्रेस के कद्दावर नेता नवजोत सिद्धू एक बार फिर सुर्खियों में हैं। कांग्रेस के लिए सिद्धू , जिन्होंने अभी आधिकारिक तौर पर राज्य भाजपा प्रमुख पद से इस्तीफा वापस नहीं लिया है, गुरुवार को उस समय मुश्किलें खड़ी करते दिखे जब उन्होंने यूपी के लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत के मामले में मोहाली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन की अगुवाई की। कांग्रेस के इस विरोध प्रदर्शन के सामने आए विजुअल्स में सिद्धू परेशान नजर आ रहे हैं क्योकि उन्हें सीएम चरमजीत सिंह चन्नी के आने का इंतजार करना पड़ा।
कैबिनेट मिनिस्टर और करीब सहयोगी परगट सिंह वीडियो में सिद्धू को यह कहते हुए शांत करने की कोशिश कर रहे हैं कि चन्नी जल्द ही प्रदर्शन में शामिल होंगे। इसी दौरान पंजाब के कार्यकारी अध्यक्षों में से एक सुखविंदर सिंह डैनी, सिद्धू से कहते हैं कि विरोध मार्च सफल होगा।
इस पर सिद्धू ने जो प्रतिक्रिया दी, वह कई लोगों के गले नहीं उतरेगी। भाजपा से कांग्रेस में एंट्री करने वाले सिद्धू ने कहा, 'सफलता कहां है। यदि भगवंत सिद्धू (अपने पिता का जिक्र किया) के बेटे को नेतृत्व की इजाजत दी गई, तो आपको देखने को मिलेगा..कांग्रेस खत्म होने की कगार पर है।'
सिद्धू के इस कमेंट की अकाली दल ने तीखे शब्दों में निंदा की है। पार्टी ने कहा कि यह दिखाता है कि सिद्धू के मन में दलित समुदाय के लिए सम्मान नहीं है। अकाली दल ने यह भी कहा कि इस कमेंट से पंजाब विधानसभा चुनाव के पहले ही, कांग्रेस के 'जातिगत कार्ड' का पर्दाफाश हो गया है। अकाली दल के नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा, 'जो लोग अपनी महत्वाकांक्षाओं को लोगों के कल्याण से ऊपर रखते हैं वे कभी राज्य का भला नहीं कर सकते। वे बेनकाब हो गए हैं। कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को बताना चाहिए कि उन्होंने अनुसूचित जाति के व्यक्ति को सीएम बनाकर पंजाबियों को मूर्ख बनाने की कोशिश क्यों की.. लेकिन उनका विश्वास सिद्धू में है।'
गौरतलब है कि चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने भी पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जिससे पार्टी पूरी तरह से संकट में आ गई। जानकारी के अनुसार, चन्नी के ओर से लिए गए कुछ फैसलों पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने इस्तीफा दिया था।