चंडीगढ़: पंजाब कांग्रेस में शह और मात का खेल जारी है। फिलहाल कैप्टन अमरिंदर सिंह की मुश्किलें कम होती नहीं दिखाई दे रही हैं। कांग्रेस नेतृत्व के निर्देश पर शनिवार को पंजाब के सभी विधायकों की बैठक शाम को पंजाब प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बुलाई गई है। प्रदेश प्रभारी हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने होने वाली बैठक की जानकारी ट्वीट कर दी।
पंजाब में अभी तक विधायकों को लेकर जो भी बैठक हुई हैं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में हुई। अब जिस तरह नेतृत्व ने विधायकों की बैठक कांग्रेस कार्यालय में बुलाने को कहा है, इससे साफ है कि दोनों ही नेता विधायकों के समर्थन को लेकर अपनी-अपनी ताकत दिखाएंगे।
नई दिल्ली में पार्टी हाईकमान के सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ लामबंद हो रहे कई विधायकों ने एक बार फिर से बागी तेवर दिखाते हुए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मांग की है कि पंजाब विधायक दल की बैठक बुलाई जाए, जिसमें विधायकों को अपना पक्ष रखने का अवसर मिल सके।
पता चला है कि इन विधायकों ने सोनिया गांधी को इस बारे एक पत्र भेजा है, जिसमें कैप्टन के कामकाज पर उंगली उठाते हुए उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है। इसके साथ ही विधायक दल की बैठक बुलाने के लिए दो पर्यवेक्षकों को चंडीगढ़ भेजने की मांग भी हाईकमान से उठाई है।
यह भी कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी को भेजा गया पत्र कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने लिखा है, जिस पर गुरुवार को बाजवा ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। दरअसल, चंडीगढ़ में पंजाब कांग्रेस के किसी भी नेता ने ऐसे किसी पत्र की पुष्टि नहीं की है। उधर, हरीश रावत ने बुधवार को नई दिल्ली में सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी, जिसे लेकर कहा जा रहा है कि रावत को पंजाब कांग्रेस का मसला जल्द से जल्द हल करने को कहा गया है। हरीश रावत 18 सितंबर को हरिद्वार से उत्तराखंड चुनाव को लेकर यात्रा शुरू करने वाले थे।
सोनिया को पत्र लिखने की बात पर भड़के रंधावा
कैप्टन विरोधी खेमे की ओर से सोनिया गांधी को पत्र लिखे जाने की चर्चा पर गुरुवार को जब कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा से पत्रकारों से सवाल पूछा तो वह गुस्से में आ गए। उन्होंने सवाल का सीधा जवाब न देते हुए कहा, आप जिन पत्रों की बात कर रहे हैं, मैं इतना ही कहूंगा कि पंजाब की राजनीति को इतना गंदा न करें और राजनेताओं को लोगों के बीच बदनाम न करें।