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चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक गैर कानूनी संगठन के रूप में एसएफजे पर केंद्र द्वारा पाबंदी लगाए जाने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि भारत विरोधी अलगाववादी कार्रवाई के खिलाफ यह उचित कदम उठाया गया है। इस संगठन से एक आतंकवादी संगठन के तौर पर सुलूक किए जाने की जरूरत है लेकिन केंद्र सरकार ने कम से कम यह फैसला तो लिया। इस संगठन ने हाल के दो साल के दौरान पंजाब में खुलकर दहशत की लहर चलाई है।

कैप्टन ने कहा कि पाकिस्तान की आईएसआई के समर्थन से 2014 में सिख रेफरेंडम-2020 की साजिश शुरू की गई थी। एसएफजे की गैर कानूनी गतिविधियों ने देश को बड़ी चुनौती दी है। हाल के वर्षों के दौरान एसएफजे ने पंजाब में आगजनी और हिंसा की गतिविधियां करवाने के लिए कुछ गरीब और भोले भाले नौजवानों को फंड मुहैया कराया था। इस संगठन ने पंजाब में गैंगस्टरों पर और गरमख्यालियों का समर्थन प्राप्त करने की अनेक कोशिशें की और उन्हें भारत सरकार से पंजाब की आजादी की लड़ाई के लिए प्रेरित किया।

सीएम ने कहा, भारत को अस्थिर करने के लिए एसएफजे को जो भी देश अपनी जमीन देगा, उसे भी इसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे।

एसएफजे ने की पंजाब पुलिस में बगावत कराने की कोशिश

मुख्यमंत्री का कहना है कि एसएफजे ने प्रदेश सरकार के विरुद्ध पंजाब पुलिस के कर्मचारियों को बगावत करने के लिए उकसाने की कोशिश की थी। इसके अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री, जेल मंत्री, पूर्व व मौजूदा डीजीपी समेत पंजाब के सीनियर पुलिस अधिकारियों को भयभीत करने के लिए धमकियां भी दी गईं। इस संगठन ने सोशल मीडिया पर चलाई अपनी मुहिम के तहत सिख फौजियों को अपना निशाना बनाया और उन्हें फौज छोड़ने व रेफरेंडम-2020 के लिए काम करने के लिए उकसाया था।

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