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श्योपुर: भारत आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 72वां जन्मदिन मना रहा है। पीएम मोदी के जन्मदिन पर देशभर में कई तरह के खास कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। अपने जन्मदिन पर पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में आठ चीतों को छोड़ा है। नामीबिया से आठ चीतों को लेकर विशेष मालवाहक विमान से ग्वालियर लाया गया। इसके बाद इन्हें चिनूक हेलीकॉप्टर से कीनो राष्ट्रीय उद्यान ले जाया गया। अधिकारियों ने कहा कि इन आठ चीतों में पांच मादा और तीन नर हैं। नामीबिया से 'प्रोजेक्ट चीता' के हिस्से के रूप में इन्हें भारत लाया गया है।

इस मौके पर एक संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि पर्यटकों और उत्साही लोगों को जंगल में चीतों को देखने के लिए अभी कुछ महीने इंतजार करना होगा। उन्होंने कहा कि जानवरों को अपने नए घर में ढलने के लिए कुछ समय चाहिए। इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस के दावों पर भी पलटवार किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ''ये चीते अनजान इस इलाके में मेहमान बनकर आए हैं। कूनो राष्ट्रीय उद्यान को अपना घर बनाने में सक्षम होने के लिए हमें इन चीतों को कुछ महीने का समय देना होगा।''

उन्होंने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने 1952 में देश से चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया, लेकिन दशकों तक उनके पुनर्वास के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया। आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो देश ने एक नई ऊर्जा के साथ चीतों का पुनर्वास करना शुरू कर दिया है।" उन्होंने कहा कि 'प्रोजेक्ट चीता' पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में हमारा प्रयास है। विशेषज्ञों द्वारा विस्तृत अध्ययन के बाद कूनो राष्ट्रीय उद्यान को चीतों की रिहाई के लिए चुना गया है। 

देश में करीब 70 साल बाद चीतों की वापसी हुई है। नामीबिया से आठ चीतों को लेकर विशेष विमान ग्वालियर एयरपोर्ट पहुंचा। यहां से चीतों को सेना के चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिए मध्य प्रदेश के श्योपुर में स्थित कूनो नेशनल पार्क पहुंच गए हैं।  चीता मित्र गांव-गांव घूमकर लोगों को चीते के बारे में जानकारी दे रहे हैं। उन्हें बताया जा रहा है कि अगर चीता नेशनल पार्क से बाहर निकल जाता है तो इस स्थिति में उन्हें क्या करना चाहिए। चीता मित्रों के अलावा वन विभाग की टीम पार्क की लगातार पेट्रोलिंग करेगी।

सीएम शिवराज ने किया पीएम मोदी का स्वागत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विमान जब ग्वालियर एयरपोर्ट पहुंचे तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यपाल ने एयरपोर्ट पर उका स्वागत किया।

सुरक्षा के खास इंतजाम

कूनो नेशनल पार्क में मौजूद पेड़-पौधे, घने जंगल और नेचुरल घास को चीतों के लिए काफी मुफीद माना जा रहा है। चीतों की सुरक्षा के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। इनके लिए आसपास के गांवों के 250 लोगों को चीता मित्र बनाया गया है।

एक मिनट में शिकार का करता है काम तमाम

चीता एक मिनट में अपने शिकार का काम तमाम कर देता है। अपनी टॉप स्पीड में यह 23 फीट लंबी छलांग लगाता है। तेंदुओं की तुलना में चीता सबसे ज्यादा शक्तिशाली और फुर्तीला होता है।

कोरिया रिसासत के महाराज ने किया था आखिरी चीते का शिकार

1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में आखिरी चीते को मार दिया गया था। महाराजा रामानुज प्रताप ने गांव वालों की गुहार पर तीन चीतों को मार दिया था। इसके बाद भारत में चीतों को नहीं देखा गया। जानकारी के अनुसार महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव शिकार के बेहद शौकीन थे।

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