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भोपाल: मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने भारतीय जनता पार्टी पर एक बार फिर विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश करने का आरोप लगाया है। कमलनाथ ने शुक्रवार को कहा कि मध्यप्रदेश के मतदाताओं ने 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में सच्चाई को वोट दिया है। भाजपा को महसूस हो गया है कि वह बड़ी हार का सामना करने वाली है, इसलिए वे फिर से 'हॉर्स ट्रेडिंग' की कोशिश कर रहे हैं। कमलनाथ ने दावा किया कि कई निर्दलीय विधायकों के साथ संपर्क किया गया है।

मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर मंगलवार को हुए उपचुनाव के नतीजे 10 नवंबर को सामने आएंगे। उपचुनाव के ये परिणाम न केवल प्रदेश की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के भाग्य का फैसला करेंगे, बल्कि प्रदेश के तीन क्षत्रपों- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजनीतक भविष्य पर भी असर डालेंगे। बता दें कि इस साल मार्च में राज्य में सत्ता के लिए जो राजनीतिक उठापटक हुई थी, उसमें ये तीनों प्रभावशाली नेता शामिल थे।

 

इस उठापटक में कमलनाथ के नेतृत्व वाली 15 महीने पुरानी कांग्रेस नीत सरकार गिराने में सिंधिया की अहम भूमिका रही थी। सिंधिया के मार्च में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने के बाद उनके समर्थन वाले कांग्रेस के 22 विधायक विधानसभा सदस्यता से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। इससे कमलनाथ की तत्कालीन सरकार अल्पमत में आ गई थी, जिसके कारण कमलनाथ ने 20 मार्च को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद चौहान के नेतृत्व में 23 मार्च को फिर भाजपा की सरकार बनी।

राजनीतक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा उपचुनाव वाली इन 28 सीटों में से 15 से अधिक पर जीत दर्ज कर लेती है तो पार्टी में उनका कद और भी बढ़ जाएगा। चौहान अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आते हैं और प्रदेश में इस वर्ग की जनसंख्या 50 फीसदी से अधिक है। विश्लेषकों के अनुसार मार्च में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने चौहान को चौथी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का दायित्व दिया था, क्योंकि जनता में उनकी छवि अच्छी है।

 

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