भोपाल: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव एवं राज्यसभा सदस्य सीताराम येचुरी ने संसदीय सत्रों में कामकाज के दिनों की संख्या कम होते जाने पर चिंता जताते हुए कहा कि ऐसा कानून बनाने की जरूरत है जो सांसदों के लिए कम से कम 100 दिन की सक्रिय उपस्थिति को अनिवार्य बनाए। येचुरी ने कहा कि ऐसा करने पर ही सरकार की जवाबदेही तय होगी। कम्युनिस्ट नेता शैलेन्द्र शैली की स्मृति में आयोजित व्याख्यान माला के अंतर्गत 'संवैधानिक मूल्यों पर खतरे और सिकुड़ता जनतंत्र” विषय पर येचुरी ने कल शाम यहां कहा, 'एक ऐसा क़ानून बनाने की ज़रूरत है जो कम से कम 100 दिन की सक्रिय उपस्थिति को सांसदों के लिए अनिवार्य करे। संसदीय कार्यवाहियां सुचारू रूप से चलाने के लिए आज बहुत जरूरी हो गया है कि संसदीय कार्यों के प्रति अरुचि व लापरवाही खत्म हो। उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में देश में 60-70 दिन प्रति वर्ष से अधिक संसद नहीं बैठी। ऐसे में सरकार की जवाबदेही कैसे होगी? उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में संसद एक साल में लगभग 200 दिन बैठती है।
कम्युनिस्ट नेता ने कहा कि असमानता को फैलाने वाली आर्थिक नीतियों को मोदी सरकार पूर्ववर्ती यू पी ए सरकार से भी ज्यादा तेजी से लागू कर रही है। कानून का वादा समानता लाने का है लेकिन जो सत्ता में हैं वे असमानता को पूरी शिद्दत से उभार रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी ने लोकसभा चुनाव में हर साल 2 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था, जिसके लिहाज़ से अब तक 6 करोड़ लोगों को नौकरी मिल जानी चाहिए थी लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि नौकरियों में सतत रूप से भारी कमी आ रही है। आज किसानों का जो हाल है वह किसी से छिपा नहीं है, वे आत्महत्या करने को मजबूर हैं। पूंजीपति लोग दूसरों का 11 लाख करोड़ रुपये का क़र्ज़ वापस नहीं कर रहे हैं, वह कुछ नहीं? उनका तो ऋण माफ़ किया जाता है, वहीं किसानों को छोटे-छोटे ऋण के लिए परेशान किया जा रहा है। येचुरी ने कहा कि आजादी के बाद के 70 सालों से देश में बहुमत का राज नहीं बल्कि अल्पमत का राज चल रहा है। आज अल्पमत का राज ही बहुमत का राज साबित किया जा रहा है, जो सरकार केंद्र में है उसे कुल मतदान करने वालों में से 63 प्रतिशत ने नकारा था, लेकिन उन्होंने सरकार बना ली। इसे बहुमत की सरकार बताना हास्यास्पद है। ऐसे माहौल में आवश्यक है विचार और व्यक्ति दोनों स्तर पर वोटिंग करायी जाए। यह हमारे जनतंत्र की मजबूती के लिये आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आज कई माध्यमों से राजनैतिक भ्रष्टाचार को न्यायसंगत बना दिया गया है जिससे जनतंत्र कमजोर हुआ है।