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बैतूल: राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि मुसलमानों की इबादत का तरीका अलग हो सकता है, लेकिन उनकी राष्ट्रीयता हिंदू है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति हिंदू है, उनमें कोई मूर्ति पूजा करता है तो कोई नहीं, यहां का मुसलमान भी राष्ट्रीयता से हिंदू है, वह तो इबादत से मुसलमान है। बुधवार को मध्यप्रदेश के आदिवासी जिले बैतूल में पहले हिंदू सम्मेलन को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा भागवत ने कहा, “जैसे इंग्लैड में इंग्लिश लोग रहते हैं, अमेरिका में अमेरिकी लोग और जर्मनी में जर्मन लोग रहते हैं, ठीक उसी तरह हिंदुस्तान में हिंदू रहते हैं। हिंदुस्तान के लोग भारत माता को अपनी मां मानकर उसकी भक्ति करते हैं। राष्ट्रीय मुस्लिम मंच द्वारा भारत माता की आरती करने पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए, क्योंकि वे हिंदू हैं इसलिए वह तो भारत माता की आरती करेगा ही, क्योंकि इबादत से वे मुसलमान हो गए, मगर राष्ट्रीयता से तो हिंदू हैं।” भागवत ने हिंदू सम्मेलन में मौजूद लोगों को भारत की विविधता को ही एकता का प्रतीक बताया। साथ ही सभी से जात-पात, भाषा, धर्म से ऊपर उठकर देश के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। भागवत ने इशारों-इशारों में धर्मांतरण पर भी प्रहार किया। उन्होंने कहा कि जो जिस रूप में भगवान की पूजा करता है, उसे उसी रूप में पूजा करने दो, यह तो अपनी अपनी-अपनी दृष्टि की बात है कि उसे भगवान किस रूप में दिखता है, मगर भगवान तो एक ही है।

उसे बदलो मत। ऐसा इसलिए क्योंकि अंत में हम सब लोग एक हैं। उन्होंने कहा, “हिंदू समाज है तो हमें एक रहना है, उसे जात-पांत का झगड़ा करके बीमार नहीं बनाना है, समाज को स्वस्थ बनाना है तो सब को एकजुट रहना होगा।” भागवत मंगलवार की रात को भोपाल से बैतूल पहुंचे। बुधवार की सुबह वे तय कार्यक्रम के मुताबिक जेल की बैरक नंबर एक में गए और गोलवलकर को श्रद्घासुमन अर्पित किए। इस दौरान भागवत के साथ 15 अन्य लोग थे, जो जेल के भीतर गए। ज्ञात हो कि वर्ष 1949 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद तत्कालीन सरसंघ चालक माधव सदाशिव गोलवलकर गुरुजी तीन माह बतौर बंदी रहे थे। गोलवलकर का निधन पांच जून 1973 को दिल्ली में हुआ था।

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