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मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है। नेताओं के बीच मनमुटाव भी उजागर होने लगे हैं। महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी महायुति गठबंधन का हिस्सा है। मंगलवार की दोपहर 3 बजे उम्मीदवारों के नामांकन का समय खत्म हो चुका है। वहीं, एनसीपी नेता नवाब मलिक को लेकर भी अब सस्पेंस खत्म हो गया। नवाब मलिक ने आज दो पर्चे भरे। एक एनसीपी की तरफ से और दूसरा पर्चा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भरा गया है। नवाब मलिक फिलहाल पीएमएलए केस में मेडिकल ग्राउंड पर जमानत पर हैं।

दरअसल, ऐसी चर्चाएं थीं कि बीजेपी नहीं चाहती कि नवाब मलिक को टिकट दिया जाए। उनके हालिया बयानों और उनकी इमेज की वजह से बीजेपी ने ये फैसला किया था। इसके लिए अजित पवार पर प्रेशर भी बनाया गया था। टिकट को लेकर अजित पवार काफी समय तक चुप रहे। आखिरकार उन्होंने नवाब मलिक को मानखुर्द विधानसभा सीट से उम्मीदवार बना दिया।

नामांकन के आखिरी दिन नवाब मलिक को अजित गुट की तरफ से मानखुर्द सीट के लिए एनसीपी का ए और बी फॉर्म सौंपा गया है। नामांकन दाखिल करने के बाद नवाब मलिक ने कहा, "मैंने निर्दलीय और एनसीपी के पर्चे पर नाम दाखिल किया है। एनसीपी का पर्चा वापस होता है, तो मैं निर्दलीय चुनाव लड़ूंगा।"

बीजेपी को नवाब मलिक से क्या है दिक्कत?

दरअसल, अणु शक्तिनगर से विधायक नवाब मलिक को टिकट नहीं देने का लगातार बीजेपी दबाव बना रही थी। इस दबाव की वजह से अजित ने शुरू में इस सीट से उनका टिकट काट उनकी बेटी सना मलिक को सिंबल दे दिया था। इसके बाद नवाब मलिक को लेकर ये सस्पेंस बरकरार था कि वो अजित पवार गुट की पार्टी एनसीपी से चुनाव लड़ेंगे या फिर निर्दलीय मैदान में उतरेंगे। क्योंकि नामांकन के आखिरी दिन यानि मंगलवार सुबह तक उन्हें पार्टी की ओर से ए और बी फॉर्म नहीं मिला था। इससे अटकलें लगाई जा रही थीं कि वो निर्दलीय भी चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, बाद में एनसीपी की ओर से उन्हें एबी फॉर्म मिला। उन्होंने अजित पवार गुट के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया।

आखिर अजित पवार के लिए खास क्यों हैं नवाब मलिक?

नवाब मलिक एनसीपी के पूर्व नेता और अजित पवार के करीबी रहे हैं। उनकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब मलिक जेल से जमानत पर बाहर आएं, तो अजित पवार और शरद पवार दोनों गुट उन्हें अपने पाले में शामिल करने को आतुर दिखे। तब छगन भुजबल और अजित पवार नवाब मलिक के घर पहुंचे थे। जबकि शरद पवार गुट के नेता अनिल देशमुख भी उनसे मिलने गए थे। हालांकि, नवाब मलिक ने अजित पवार का साथ चुना।

एनसीपी के लिए क्यों जरूरी हैं नवाब मलिक?

नवाब मलिक इसलिए एनसीपी के दोनों गुट के लिए जरूरी हैं, क्योंकि अल्पसंख्यकों के बीच उनकी बहुत अच्छी छवि है। नवाब मलिक ही ऐसे नेता हैं, जिनकी बदौलत एनसीपी ने कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक में अच्छी-खासी सेंधमारी की थी। नवाब मलिक अणु शक्तिनगर से विधायक हैं। वो पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं। महाराष्ट्र में जब महागठबंधन यानि महा विकास अघाड़ी की सरकार थी, तब उन्हें एनसीपी के कोटे से मंत्री बनाया गया था।

शरद पवार और उद्धव ठाकरे से भी करीबी

एनसीपी में टूट से पहले नवाब मलिक के शरद पवार और उद्धव ठाकरे से भी अच्छे रिश्ते रहे। वो आज भी दोनों नेताओं का बखूबी सम्मान करते हैं। एक इंटरव्यू में उनसे सवाल पूछा गया था कि चाचा शरद पवार से इतनी नजदीकियां थीं, तो उन्होंने भतीजे का साथ क्यों चुना? इसके जवाब में नवाब मलिक ने कहा था, "मुश्किल समय में अजित पवार मेरे साथ खड़े रहे। परिवार का साथ दिया। अब मेरा दायित्व है कि मैं अजित पवार का साथ दूं।"

नवाब मलिक ने कहा, "शरद पवार और उद्धव ठाकरे से मेरे रिश्ते अच्छे हैं। मुझ पर आरोप लगने के बाद भी उद्धव ठाकरे ने मुझे मंत्री पद से नहीं हटाया। यह मैं कभी भूल नहीं सकता, लेकिन संकट में अजित पवार ने मेरा साथ दिया था।"

अजित पवार को बताया था किंगमेकर

इससे पहले नवाब मलिक ने अजित पवार को महाराष्ट्र चुनाव का किंगमेकर बताया था। उन्होंने कहा था कि अजित पवार किंगमेकर साबित होंगे।

फडणवीस और बीजेपी को नवाब मलिक से क्या है दिक्कत?

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस लंबे समय से नवाब मलिक का विरोध करते आए हैं। जब महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की सरकार थी, तब देवेंद्र फणडवीस नेता प्रतिपक्ष थे। फडणवीस ने उस समय नवाब मलिक पर भारत के घोषित आतंकी दाऊद इब्राहिम की डी कंपनी से जुड़े होने के आरोप लगाए थे। नवाब मलिक ने एक मामले में फडणवीस की पत्नी अमृता पर भी निशाना साधा था। मलिक ने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर करते हुए लिखा था कि आखिर बीजेपी और ड्रग पेडलर का क्या कनेक्शन है? इसके बाद फडणवीस ने डी कंपनी को लेकर नवाब मलिक पर कई आरोपों की झड़ी लगा दी थी।

एनसीपी के विभाजन के बाद सहयोगी बीजेपी की आपत्तियों के बावजूद डिप्टी सीएम अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट ने विधायक मलिक को अपने पाले में कर लिया था। इसे लेकर बीजेपी लगातार एनसीपी पर दवाब बना रही थी। बीते दिनों बीजेपी मुंबई यूनिट के अध्यक्ष शेलार ने हाल ही में एक न्यूज चैनल से कहा था,‘‘हम अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से जुड़े किसी व्यक्ति को टिकट देना स्वीकार नहीं करेंगे।'' उन्होंने कहा था, ‘‘हम मलिक का समर्थन नहीं करेंगे और अपना अलग रुख रखेंगे।'' हालांकि, अजित पवार पर बीजेपी का प्रेशर काम नहीं आया। आखिरी वक्त में उन्होंने नवाब मलिक का ही साथ दिया।

नवाब मलिक का किससे होगा मुकाबला?

मानखुर्द शिवाजीनगर सीट से नवाब मलिक का मुकाबला समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबु आजमी से होना है। ये सीट समाजवादी पार्टी की गढ़ मानी जाती है। सपा के प्रदेश अध्यक्ष अबु आजमी इस सीट से तीन बार से चुनाव में जीत दर्ज कर रहे हैं। मानखुर्द शिवाजी नगर विधानसभा क्षेत्र उत्तर पूर्व मुंबई लोकसभा क्षेत्र के तहत आता है।

बता दें कि महाराष्ट्र में विधानसभा की सभी 288 सीटों पर एक ही फेज में 20 नवंबर को वोटिंग है। चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।

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