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नई दिल्ली (नरेन्द्र भल्ला): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने गढ़ महाराष्ट्र में भगवा किले को बचाने के लिए पूरी ताकत से मैदान में कूद पड़ा है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी के निराशाजनक प्रदर्शन से सबक लेते हुए इस बार संघ ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। संघ स्वयंसेवकों के दर्जनों समूह बनाये गए हैं, जो समूचे राज्य में 60 हजार से ज्यादा छोटी बैठकें और संपर्क अभियान का लक्ष्य पूरा करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

288 सीटों वाली विधानसभा में महायुति और विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। लिहाज़ा जनमत को बीजेपी के पक्ष में करने के लिए सभी विधानसभा क्षेत्रों में ये बैठकें हो रही हैं। इनमें अलग-अलग समाज व वर्ग के प्रमुख लोगों को आमंत्रित कर उन्हें समझाया जा रहा है कि महायुति सरकार का दोबारा सत्ता में लौटना क्यों जरुरी है। संघ ने इस अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिये अपने सह सरकार्यवाह अतुल लिमए को जिम्मेदारी सौंपी है। संघ सूत्रों के मुताबिक उन्होंने कार्य योजना तैयार कर जमीन पर काम करना शुरू भी कर दिया है।

दरअसल,महाराष्ट्र में संघ ने ओबीसी, एससी, एसटी समाज के बीच माइक्रो मैनेजमेंट के तहत काम करने की रणनीति बनाई है। ओबीसी की 353 उपजातियों, एससी की 59 उपजातियों, एसटी की 25 उपजातियों और 29 घुमंतू जातियों के बीच संघ अलग-अलग कार्यक्रम चलाकर बीजेपी के पक्ष में माहौल बना रहा है।

बाला साहेब ठाकरे के नाम का इस्तेमाल

शिव सेना सुप्रीमो रहते हुए बाला साहेब ठाकरे ने जो "धरतीपुत्र" आंदोलन चलाया था, उसमें शामिल मुंबई और कोंकण बेल्ट की सभी पांचों जातियों को बीजेपी और एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिव सेना से जोड़ने का भी प्रयास बेहद तेजी से किया जा रहा है। ठाकरे परिवार से नजदीक रही इन जातियों को समझाया जा रहा है कि उद्धव ठाकरे के काम करने का तरीका बाला साहेब की कार्यपद्धति के एकदम उलट है। इस क्रम में संघ लगातार मुंबई और ठाणे बेल्ट में प्रभु पठारे, आगरी, कोली, सीकेपी और दैवज्ञ ब्राह्मण जातियों के बीच कार्यक्रम चला रहा है।

दलित समुदाय तक पहुंचने की कवायद

यही नहीं,संघ से मिले दिशानिर्देश के बाद बीजेपी ने भी दलित समुदाय के बीच अपनी पकड़ मजबूत करना शुरु कर दी है। बीजेपी और संघ की नजर दलित समुदाय के बौद्ध बने बड़े दलित वोट बैंक पर है। इस वर्ग के बीच बीजेपी बड़ा आउटरीच कार्यक्रम चला रही है। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने अब तक करीब 200 सभाएं बौद्धों के बीच की हैं। रिजिजू को मोदी कैबिनेट के बौद्ध चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाता है। रिजिजू दलित समुदाय से बौद्ध बने लोगों के बीच जाकर केंद्र सरकार द्वारा दलितों के उत्थान और बौद्धों के लिए किए गए कामों की पूरी फेहरिस्त बताते हुए बीजेपी के लिए वोट मांग रहे हैं।

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