मुंबई: महाराष्ट्र के नांदेड़ में मौतों का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अस्पताल में 4 बच्चों समेत सात और मरीजों की मौत हो गई है। पिछले 48 घंटे में अब तक 31 लोगों की जान जा चुकी है। पिछले 48 घंटों में सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मरने वालों का आंकड़ा अब 31 पहुंच गया है, इनमें 16 बच्चे शामिल हैं।
अस्पताल में बड़ी संख्या में हो रही मौतों से हेल्थ सिस्टम पर सवाल खड़ा हो रहा है। आखिर इन मौतों की वजह क्या है ये अब तक साफ नहीं हो सका है। हालांकि इन मौतों के लिए लोग लचर सरकारी तंत्र को जिम्मेदार मान रहे हैं। यह मामला नांदेड़ के शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल का है।
अस्पताल में हो रही मौतों पर शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल के डीन का बयान सामने आया था। उन्होंने कहा था कि ज्यादातर मौतें सांप के काटने की वजह से और बाकी की बीमारियों की वजह से हुई हैं। आलम यह है कि मौतों का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इन आंकड़ों में लगातार इजाफा होता जा रहा है।
अस्पताल के डीन ने कहा था कि 70-80 किमी के दायरे में सिर्फ एक ही अस्पताल है। दूर-दूर से लोग यहां इलाज करवाने आते हैं। कुछ दिनों से मरीज ज्यादा संख्या में अस्पताल आ रहे हैं। हमने स्थानीय स्तर पर दवाएं खरीदकर मरीजों को उपलब्ध करवाई हैं। उन्होंने कहा था कि हम तृतीय स्तर के हेल्थ सेंटर हैं। वहीं महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने इन मौतों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। उन्होंने कहा था कि इन मौतों पर अस्पताल से जानकारी मांगी जाएगी और एक्शन भी लिया जाएगा। वहीं विपक्ष इस घटना को लेकर एकनाथ सरकार पर हमलावर है। उनका कहना है कि इस घटना की जिम्मेदारी महाराष्ट्र की ट्रिपल इंजन सरकार को लेनी चाहिए।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कही यह बात
महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि हम पूरी जांच करेंगे। मैंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को इस संबंध में जानकारी दी है। मैं अस्पताल का दौरा करूंगा और डॉक्टरों की एक समिति भी बनाई जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग महाराष्ट्र का सबसे उपेक्षित विभाग: राउत
डॉ. शंकरराव चव्हाण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई मौतों को लेकर विपक्ष भाजपा सरकार पर हमलावर है। शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र की स्वास्थ्य स्थिति हमेशा बेहतर रही है, लेकिन पिछले एक साल से एक तरह से महाराष्ट्र के सभी सरकारी विभाग की हालत खराब है। न स्वास्थ्य मंत्री को चिंता है, न डॉक्टर अपना काम कर रहे हैं। किसी का कोई नियंत्रण ही नहीं है। स्वास्थ्य विभाग महाराष्ट्र का सबसे उपेक्षित विभाग है।