ताज़ा खबरें
महाराष्ट्र के नतीजे पर उद्धव बोले- 'यह सिर्फ एक लहर नहीं, सुनामी थी'
संसद में वायनाड के लोगों की आवाज बनूंगी: चुनाव नतीजे के बाद प्रियंका
झारखंड में 'इंडिया' गठबंधन को मिला बहुमत, जेएमएम ने 34 सीटें जीतीं
पंजाब उपचुनाव: तीन सीटों पर आप और एक पर कांग्रेस ने की जीत दर्ज

मुंबई: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने अपने मुखपत्र सामना में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला बोला है। सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि बीजेपी ईवीएम हैक करके चुनाव जीतती है। इसके साथ ही चुनाव आयोग को भी निशाने पर लिया है और कहा कि चुनाव आयोग से अब कोई अपेक्षा नहीं की जा सकती। सत्ता पक्ष ने ईवीएम के साथ ही चुनाव आयोग को भी हैक कर रखा है।

चुनाव आयोग को बताया कठपुतली

संपादकीय में लिखा गया है कि सत्य को कितना भी दबाने की कोशिश करें, वो लावे की तरह बाहर आ ही जाता है। बीजेपी सांसद डी अरविंद ने कहा है कि मतदाताओं तुम कोई भी बटन दबाओ, वोट बीजेपी को ही जाएगा। इसका सीधा अर्थ यह है कि बीजेपी ईवीएम हैक करके चुनाव जीतती है।

चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए मुखपत्र लिखता है कि 'चुनाव आयोग अब निष्पक्ष नहीं रहा। बीजेपी की केंद्र सरकार का काम करने वाला ही बन चुका है। चुनाव आयोग में ‘गुजरात मॉडल’ के अधिकारियों को लाकर उनसे मनचाहे अच्छे-बुरे काम करवाए जा रहे हैं।

सामना लिखता है कि महाराष्ट्र में जिस तरह से शिवसेना व धनुष-बाण चिह्न शिंदे गुट के हाथ में दिए गए, इस मनमानी पर मुहर लग चुकी है।'

सामना आगे लिखता है कि आज बीजेपी ईवीएम प्रेम दिखा रही है, लेकिन ईवीएम में गोलमाल किया जा सकता है कि इसका सबूत बीजेपी ने दिया था। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी तो 'ईवीएम घोटाले' पर ग्रंथ लिखकर इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक गए थे।

दावा- लोकसभा में ईवीएम का इस्तेमाल करती है बीजेपी

इसमें कहा गया है कि अमेरिका, यूरोप, जापान, जर्मनी, बांग्लादेश, फ्रांस जैसे देशों ने ईवीएम को हटा दिया, लेकिन जनता का विश्वास खो चुकी मोदी सरकार ने 'अविश्वसनीय' ईवीएम का इस्तेमाल जारी रखा। दावा किया कि बीजेपी ईवीएम का इस्तेमाल केवल लोकसभा चुनाव में करती है। अखबार लिखता है कि मोदी-शाह को राज्यों की सत्ता में इंटरेस्ट नहीं है। ईवीएम घोटाला सिर्फ लोकसभा चुनाव जीतने के लिए ही एकमात्र सूत्र बनाया गया है।

सामना ने टीएन शेषन को किया याद

इसमें कहा गया है कि ईवीएम में दिए गए वोट पर मतदाताओं का संदेह लोकतंत्र की हार है। हमने जिसे वोट दिया और वह प्रत्याशी को मिला या नहीं, इस संदेह का निराकरण चुनाव आयोग नहीं कर सकता है, तो इन भाजपाई बड़बोली कठपुतलियों का कोई उपयोग नहीं। चुनाव आयोग को बीजेपी कार्यालय में रूपांतरित करना ही सही होगा।

सामना का संपादकीय कहता है कि बीजेपी का एक सांसद ईवीएम घोटाले को स्वीकृति दे रहा है, तो भी देश का चुनाव आयोग शांति के साथ इसे सहन कर रहा है। आज टी एन शेषन होते तो ईवीएम के गोदाम पर बुलडोजर चला दिया होता और लोकतंत्र की रक्षा की होती।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख