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मुंबई: विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने के चुनावी वायदे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फिर से हमला बोलते हुए शिवसेना ने आज सवाल किया कि कितने नागरिकों के बैंक खातों में 15 लाख रूपए आए हैं। शिवसेना के मुखपत्र सामना में प्रकाशित एक संपादकीय में कहा गया है, ‘चुनावों के पहले मोदी का पहला वादा काला धन वापस लाने का था। हाल ही में अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में उन्होंने विदेशों में पैसे जमा रखने वाले लोगों को जानकारी देने या कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी है। इस चेतावनी का अपने आप में अर्थ है कि सांप अब भी बिल में है और बाहर आने को तैयार नहीं है।’ मोदी ने 2014 में लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान में काला धन के मुद्दे को प्रमुखता से रेखांकित किया था और इसे वापस लाने का वादा किया था। उन्होंने कहा था कि हर नागरिक को उनके बैंक खातों में 15 लाख रूपए मिलेंगे। भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने सवाल किया, ‘चुनावों के पहले, मोदी ने कहा था कि विदेशी बैंकों में करीब दो लाख करोड़ रूपए काला धन के रूप में जमा हैं और उन्होंने हर नागरिक के बैंक खाते में 15 लाख रूपए का वादा किया था। सत्ता में आए दो साल हो गए, कितना काला धन वापस लाया गया है?’ संपादकीय में भाजपा पर भी हमला बोला गया था जिसने हाल ही में शहर में 10 स्थानों पर मन की बात कार्यक्रम का आयोजन किया था ताकि नागरिक प्रधानमंत्री के रेडियो शो को सुन सकें।

शिवसेना ने कहा, ‘मन की बात गर्म चाय की तरह है और श्रोताओं को आकर्षित करने के लिए मुंबई के कई इलाकों में मुफ्त चाय पिलायी गयी। देश में बदलाव हो रहा है। हम मुफ्त चाय नहीं चाहते, जैसा वादा किया गया था, हम 15 लाख रूपए अपने बैंक खातों में चाहते हैं।’ इसमें दावा किया गया है कि चुनावी व्यवस्था काला धन पर खड़ी है और सिर्फ उद्योगपति, फिल्मी सितारे या आतंकवादी संगठनों के पास ही नहीं बल्कि राजनीति में भी कालाधन है। पार्टी ने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि क्यों हर पार्टी चाहती है कि उद्योगपति उनके साथ काम करें। कालाधन खोजने के लिए स्विट्जरलैंड या मारीशस जाने की आवश्यकता नहीं है। मोदी अपने मिशन में कामयाब हो सकते हैं अगर वह देश के अंदर ही मौजूद कालाधन को बाहर निकालते हैं।

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