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जयपुर: राजग की घटक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संयोजक व नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने किसान आंदोलन के समर्थन में व लोकहित के मुद्दों को लेकर संसद की तीन समितियों के सदस्य पद से त्याग पत्र देने की घोषणा की है। सांसद ने अपना त्यागपत्र लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भेजा है। बेनीवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा कि 26 दिसंबर को वह दो लाख किसानों के साथ दिल्ली की ओर कूच करेंगे तथा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में बने रहने के बारे में भी फैसला उसी दिन होगा। बिरला को भेजे पत्र में बेनीवाल ने संसद की उद्योग संबंधी स्थायी समिति, याचिका समिति व पेट्रोलियम व गैस मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति से इस्तीफा देने बात की है।

बेनीवाल के अनुसार उन्होंने सदस्य के रूप में जनहित से जुड़े अनेक मामलों को उठाया, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए वह किसान आंदोलन के समर्थन में व लोकहित के मुद्दों को लेकर संसद की तीन समितियों के सदस्य पद से त्याग पत्र दे रहे हैं। बेनीवाल ने यहां आरएलपी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के बाद यह घोषणा की।

 

बेनीवाल ने इस्तीफे का प्रमुख कारण बाड़मेर में उन पर हुए हमले से जुड़े मामले में विशेषाधिकार हनन का मामला बना, जिसमें संसद के दखल के बाद भी एक साल तक मुकदमा दर्ज नहीं होना व कार्रवाई नहीं होना लिखा हैं।

इसके अलावा उन्होंने अपने इस्तीफा पत्र में एक सीमेंट कंपनी को गलत तथ्य के आधार पर पर्यावरण स्वीकृति देने और राजस्थान से निकलने वाले कच्चे तेल से राज्य को मिलने वाली रॉयल्टी से राजस्थान को वंचित रखने पर भी अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने बताया कि इन दोनों ही मुद्दों को मैंने समितियों के समक्ष रखा, लेकिन उस पर कोई कार्यवाही अब तक नहीं हुई। ऐसे में मेरा मानना है कि इन समितियों का कोई औचित्य नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से तीनों कृषि कानून किसान विरोधी हैं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जी से हमने अपील भी की है। एनडीए गठबंधन में होने के नाते मैंने पत्र भी लिखा कि अगर आप इन्हें वापस नहीं लेंगे तो हम एनडीए के समर्थन पर पुनर्विचार करेंगे।

2 लाख समर्थकों के साथ दिल्ली के लिए रवाना होंगे

बेनीवाल 26 दिसंबर को 2 लाख समर्थकों के साथ दिल्ली के लिए रवाना होंगे। जयपुर में आज हुई एक बैठक के बाद बेनीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी किसानों के साथ हमेशा से खड़ी है और आगे भी रहेगी। उन्होंने बताया कि किसानों में केंद्र के इस बिल के खिलाफ रोष है।

तीनों कृषि कानून किसान विरोधी

उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से तीनों कृषि कानून किसान विरोधी हैं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जी से हमने अपील भी की है। एनडीए गठबंधन में होने के नाते मैंने पत्र भी लिखा कि अगर आप इन्हें वापस नहीं लेंगे तो हम एनडीए के समर्थन पर पुनर्विचार करेंगे।

 

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