जयपुर: बिहार विधानसभा चुनाव, विधानसभा उप चुनाव और ग्रेटर हैदराबाद निगम चुनाव के बाद राजस्थान पंचायत चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी का खराब प्रदर्शन का दौर जारी है। राजस्थान पंचायत चुनाव में राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के टोंक जिले में भी कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी है। इतना ही नहीं खुद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा अपने जिले सीकर में पार्टी को जीत नहीं दिला पाए। वहीं, चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा अजमेर में, वन मंत्री सुखराम बिश्नोई सिरोही में, खेल मंत्री अशोक चांदना बंदी में, सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना चित्तौडगढ़ में और हरीश चौधरी बाड़मेर में पार्टी का जिला प्रमुख नहीं बनवा सके।
गौरतलब है कि चुनावों में 10 मंत्रियों की साख दांव पर थी। इनमें से चार मंत्री ही अपनी प्रतिष्ठा बचा सके है। हालांकि बाड़मेर में भाजपा और कांग्रेस को बराबर सीट मिली है। ऐसे में वहां पर एक सीट पर जीत हासिल कर आए आरएलपी के उम्मीदवार पर निर्भर करेगा कि वहां कौन जिला प्रमुख होगा और किसका बोर्ड बनेगा?
वहीं पंचायत समिति की कुल 4371 में 4051 सीटों के नतीजे घोषित हुए। इनमें से 1836 में भाजपा, 1718 में कांग्रेस और 422 में निर्दलीय ने जीत दर्ज की। आरएलपी 56, सीपीआईएम 16 व बसपा ने 3 सीटें जीतीं। वहीं, जिला परिषदों की 636 सीटो में से 598 सीटो पर नतीजे घोषित हुए हैं। इनमें बीजेपी 323, कांग्रेस 246, निर्दलीय 17, आरएलपी 10 व सीपीआईएम 2 पर जीती है।
पायलट के गढ़ में भाजपा का कब्जा बरकरार
टोंक में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने जिला परिषद में अपना कब्जा बरकरार रखा है। वही बात करें पंचायत समिति चुनाव परिणाम की तो यहां की सात पंचायत समितियों में से 3-3 पर भाजपा-कांग्रेस ने जीत हासिल की है। जबकि एक पंचायत समिति में ना तो भाजपा को और ना ही कांग्रेस को बहुमत मिला है। ऐसे में वहां निर्दलीयों को साथ लेकर बोर्ड बनाना होगा। बता दें कि पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट टोंक विधानसभा क्षेत्र से विधायक है। टोंक जिला परिषद की 25 सीटों के परिणाम में कांग्रेस के 10 सदस्य जीते हैं। जबकि 15 सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है।
कई दिग्गजों के गढ़ में हार गई कांग्रेस
इन चुनावों में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं सचिन पायलट, गोविंद डोटासरा, रघु शर्मा, उदयलाल आंजना व खेल राज्य मंत्री अशोक चांदना के क्षेत्रों में भी कांग्रेस हार गई। बता दें 2015 में वसुंधरा राजे सरकार के दौरान जिला परिषद की 21 सीटें भाजपा व 12 कांग्रेस ने जीती थीं। 2008 में गहलोत सरकार में कांग्रेस ने 24, भाजपा ने 8 व एक निर्दलीय ने जीती थी। उधर, दोनों दलों ने रात से ही बाड़ाबंदी भी शुरू कर दी।
भाजपा के पक्ष में कहां-कहां आए नतीजे
परिणाम के मुताबिक, जिन 14 जिलों में भाजपा अपना बोर्ड बना सकती है वे हैं अजमेर, बाड़मेर, भीलवाड़ा, बूंदी, चितौड़गढ़, चुरू, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, पाली, राजसमंद, सीकर, टोंक और उदयपुर। जिन 5 जिलों में कांग्रेस बोर्ड बनाएगी वे हैं बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, हनुमानगढ़, जैसलमेर।
कांग्रेसी दिग्गजों के गढ़ में क्या रहे नतीजे
- नागौर में हनुमान बेनीवाल किंगमेकर होंगे। यहां 20 भाजपा, 18 कांग्रेस और नौ सीटें आरएलपी को मिलीं।
- डूंगरपुर में बीटीपी का जिला प्रमुख बनेगा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द डोटासरा के क्षेत्र लक्ष्मणगढ़ से कांग्रेस को 25 में केवल 11, भाजपा को 13 और एक निर्दलीय प्रत्याशी को पंचायत समिति में जीत हासिल हुई।
- पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के क्षेत्र टोंक की पंचायत समिति में 19 में से 9 सीटों पर भाजपा, 7 पर कांग्रेस और तीन पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है।
- स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा के क्षेत्र अजमेर में 11 पंचायत समितियों में से 9 पर भाजपा को बढ़त मिली है और दो में कांग्रेस।
- सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना के क्षेत्र निंबाहेड़ा पंचायत समिति की 17 में से 14 सीटों पर भाजपा और तीन पर कांग्रेस ने जीत पाई।
- खेल मंत्री अशोक चांदना के क्षेत्र हिंडौली में 23 में से 13 पंचायत समितियों में बीजेपी और 10 में कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है।
- विधान सभा में उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी के क्षेत्र नावां में 21 में से 14 पंचायत समितियों में भाजपा, 6 में कांग्रेस और एक में आएलपी ने जीत हासिल की।
चुनाव प्रचार में एक्टिव नहीं दिखे पायलट
बता दें कि पंचायत और जिला परिषद के चुनाव में सचिन पायलट ज्यादा एक्टिव नहीं दिखाई दिए। हालांकि चुनाव के दौरान ही वे कोरोना पॉजिटिव भी हो गए थे। ऐसे में कोविड गाइनलाइन के तहत भी वे प्रचार में नहीं जा सके।
सोशल मीडिया पर चुनाव को लेकर नहीं दी कोई प्रतिक्रिया
बता दें कि पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सोशल मीडिया पर लगातार एक्टिव रहते है। लेकिन, चुनाव नतीजों के बाद उन्होंने चुनाव से जुड़ी कोई पोस्ट नहीं की। ना तो उन्होंने चुनाव जितने वालों को बधाई दी और ना ही टोंक के कार्यकर्ताओं के नाम कोई संदेश अपने सोशल मीडिया पर दिया।
केन्द्रीय मंत्री के बेटे रवि मेघवाल भी चुनाव हारे
इतना ही नहीं राजस्थान के चुनाव प्रचार में केंद्रीय मंत्रियों ने भी भाजपा उम्मीदवारों को जिताने के लिए अपनी ताकत चुनाव प्रचार में झोंक रखी थी। लेकिन, वे भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके हैं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के बेटे रवि मेघवाल ने भी चुनाव लड़ा था, लेकिन वे चुनाव हार गए। केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी बाड़मेर जिला परिषद में भाजपा का स्पष्ट बहुमत के साथ बोर्ड नहीं बनवा सके हैं।
इनका प्रदर्शन रहा अच्छा
राजस्थान में कांग्रेस की बात करें तो बांसवाड़ा में जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री अर्जुन बामणिया, जैसलमेर में अल्पसंख्यक मामलात मंत्री शाले मोहम्मद, बीकानेर में उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी और उर्जा मंत्री बी डी कल्ला जिला परिषद में पार्टी को जीत दिलाने में सफल रहे हैं।
राजे का गढ़ हुआ फिर मजबूत
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के जिले झालावाड़ में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा है। यहां जिला परिषद चुनाव में तो भाजपा ने जीत हासिल की है। इसके साथ ही 8 में से 5 पंचायत समितियों में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला है।
भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेताओं का खराब प्रदर्शन
जिला परिषद और पंचायत चुनाव में भाजपा के केंद्रीय नेताओं का प्रदर्शन भले ही खराब रहो। लेकिन प्रदेश के नेताओं ने अपने क्षेत्र में पार्टी को जीत दिलाई। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ ही नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने अपने गृह क्षेत्र उदयपुर के जिला परिषद में भाजपा को अच्छी जीत दिलाई। वहीं, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के क्षेत्र चूरू की जिला परिषद में भाजपा ने कांग्रेस से ज्यादा सीटें जीती हैं। हालांकि चुरू की 7 पंचायत समितियों में से भाजपा 3 में ही जीत पाई।
बता दें कि राजस्थान के 21 जिलों में 4371 पंचायत समिति सदस्यों के लिए चुनाव हुआ था। जिला परिषद व पंचायत समिति सदस्यों के लिए चार चरणों में 23 नवंबर, 27 नवंबर, एक दिसंबर और पांच दिसंबर को मतदान हुआ था। अब प्रधान या प्रमुख का चुनाव 10 दिसंबर और उप प्रधान या उप प्रमुख के लिये 11 दिसंबर को चुनाव होंगे।