जयपुर: राजस्थान में जारी सियासी घमासान के बीच राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य कैबिनेट की तरफ से विधानसभा सत्र बुलाने के अनुरोध को सोमवार की दोपहर को स्वीकार कर लिया। उनकी तरफ से यह फैसला उस वक्त किया गया जब कुछ देर पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने राज्यपाल के ‘बर्ताव’ को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात की और उन्हें इस बारे में बताया है।
कांग्रेस और मुख्यमंत्री की तरफ से 'ऊपर से दबाव' के आरोपों के बावजूद आज जारी नोटिफिकेशन में राज्यपाल कलराज मिश्र ने इस बात को खारिज कर दिया कि विधानसभा सत्र बुलाने में वह देरी कर रहे थे। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की तरफ से 31 जुलाई से विधानसभा सत्र शुरू करने के प्रस्ताव की मांग को खारिज करते हुए आज सुबह राज्य सरकार से सफाई मांगी थी। कोरोना वायरस की स्थिति का हवाला देते हुए राज्यपाल ने कहा था कि इतने कम समय में सदन के सभी विधायकों को बुलाना कठिन होगा। राज्यपाल ने सरकार को विधानसभा सत्र बुलाने से पहले तीन पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के लिए कहा है। 21 दिन का नोटिस, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और विश्वास मत परीक्षण की स्थिति में कुछ शर्तों का पालन करने को कहा।
इससे पहले, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि विधानसभा सत्र बुलाने में बाधा डालने से संसदीय लोकतंत्र का 'मौलिक आधार' कमजोर होगा। तो वहीं, अशोक गहलोत ने बताया कि उन्होंने राज्यपाल कलराज मिश्र के बारे में रविवार को पीएम मोदी से बात की है और राज्यपाल के 'व्यवहार' के बारे में अवगत कराया है। उन्होंने कहा, 'मैंने प्रधानमंत्री से कल (रविवार) बात की और राज्यपाल के 'व्यवहार' के बारे में बताया। मैंने सात दिन पहले के पत्र पर भी पीएम मोदी से बात की। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें छह पन्नों का 'प्रेम पत्र' भेजा था।
पिछले सप्ताह भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखकर प्रदेश के राजनीतिक हालात से अवगत कराया था। इसके अगले दिन गहलोत ने कहा था कि ऐसा उन्होंने इसलिए किया ताकि कल को वे ये ना कह दें कि मुझे इसकी जानकारी ही नहीं थी।
एक दिन पहले ही कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने रविवार को राज्यपाल कलराज मिश्र पर विधानसभा सत्र बुलाने में देरी का आरोप लगाते हुए कहा कि वे केन्द्र में 'मास्टर' के इशारे पर काम कर रहे हैं। राज्य में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और 18 अन्य उनके समर्थक कांग्रेस विधायकों के बागी होने के बाद राज्य की गहलोत सरकार यह साबित करना चाहती है कि उनके पास विधानसभा में बहुमत बरकरार है। इसको लेकर वे लगातार राज्यपाल से विधानसभा सत्र बुलाने की मांग कर रहे थे।